स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, यह दावे कितनी जमीन पर उतरती है यह आम लोगों से बेहतर कोई नहीं बता सकता है। खासकर तब जब महकमे के मंत्री कहते नहीं थकते कि झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से काफी सुधार हुई है. अच्छे स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल तब खुलकर सामने आ जाती है जब अच्छे व्यवस्था को लेकर मरीज को मरीज के परिजन अस्पताल के चक्कर काटते रहते हैं और अच्छी सुविधा नहीं मिलने के कारण उनकी मौत हो जाती है।
बता दें यह चतरा जिले का ताज़ा मामला है जो की सदर अस्पताल की सड़ी हुई व्यवस्था को दर्शाती है. इसी सदी हुए व्यवस्था का भेंट एक 27 वर्षीय महिला व उसका अजन्मा बच्चा चढ़ा है। सदर थाना क्षेत्र के रक्सी गांव नीतू कुमारी को उसके परिजन प्रसव पीड़ा के बाद प्रसव कराने के लिए सदर अस्पताल लाए थे। सदर अस्पताल में वह 3 घंटे तक भर्ती रही। इस 3 घंटे में ना तो उसका नॉर्मल डिलीवरी कराया गया और ना ही सिजेरियन की गई, और इस दौरान उसकी मौत हो गई।
इसे भी पढें: Dhanbad: मंत्री बन्ना गुप्ता का धनबाद दौरा, घटना स्थल आशीर्वाद टावर का लिया जायजा
प्रसव के दौरान सदर अस्पताल में इलाज के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत
जच्चा बच्चा की मौत अस्पताल प्रबंधन व यहां के चिकित्सकों की लापरवाही बताने के लिए काफी है। अब सवाल यह है कि जब भर्ती होने के तीन घंटे में महिला का नार्मल डिलीवरी नही हो सका तो फिर सिजेरियन क्यों नही किया गया। जबकि सदर अस्पताल में सर्जन चिकित्सक भी उपलब्ध हैं। सदर अस्पताल की चंद दूरी पर ही रेड क्रॉस का ब्लड बैंक भी मौजूद है। बता दें सदर अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। मामले में विभाग का कोई भी बड़ा अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहा है। हालांकि सिविल सर्जन इस पूरे लापरवाही के मामले पर पर्दा डालने में लगे हैं। सिविल सर्जन डॉ श्याम नंदन सिंह ने दूरभाष पर बताया कि महिला काफी गंभीर स्थिति में सदर अस्पताल आई थी। चिकित्सकों व कर्मियों ने उसका प्रसव कराने का प्रयास किया। लेकिन इसी दौरान उसकी मौत हो गई।