चतरा में नशे की खेती पर नकेल को लेकर पुलिस पूरी तरह कमर कस चुकी है। पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद एसपी राकेश रंजन के सख्त निर्देश पर चतरा पुलिस के अधिकारी और जवान जंगलों की खाक छानने के साथ-साथ माफियाओं और सौदागओ की गतिविधि पर पैनी नजर रख रहे हैं। इतना ही नहीं एसडीपीओ अविनाश कुमार के नेतृत्व में पुलिस के अधिकारी और जवान एके-47 समेत अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर जंगलों और पहाड़ों से घिरे इलाकों का गहन मुआईना भी कर रहे हैं।
ताकि सीमावर्ती इलाकों में पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फॉरेस्ट एरिया समेत अन्य सुदूरवर्ती स्थानों पर ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर अफीम की खेती करने और कराने वाले माफियाओं के साजिश को समय रहते नेस्तनाबूद किया जा सके। इसे लेकर पुलिस अधिकारी और जवान जिले के सुदूरवर्ती गांवों व अफीम उत्पादन संभावित जंगलों में जाकर ग्रामीणों को अफीम से होने वाले नुकसान और एनडीपीएस के सख्त पुलिसिया व कानूनी कार्यवाही के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं। अधिकारियों व जवानों के इस अभियान का असर भी इलाकों में दिखने लगा है।
ग्रामीण खेती व तस्करी नहीं करने की खाने लगे हैं सौगंध
अब तक माफियाओं व सौदागरों के मकड़जाल व लोभ लालच में फंसकर अफीम की खेती कर अपना व अपने बाल बच्चों का भविष्य तबाह करने के साथ-साथ खेती योग्य भूमि को अपने हाथों बंजर बनाने वाले ग्रामीण खेती व तस्करी नहीं करने की सौगंध खाने लगे हैं। ग्रामीण भी अब अफीम के बजाए अन्य फसलों का उत्पादन कर अपना आर्थिक स्त्रोत सुदृढ़ करने के अभियान में जुट गए हैं। ताकि में भी आम लोगों की तरह समाज में निर्भीक होकर अपना जीवन यापन कर सके। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर ग्रामीणों को जागरूक करने पगडंडियों पर खुद बाइक चलाकर बिहड़ व सुदूरवर्ती जंगल में दलबल के साथ पहुंचे एसडीपीओ ने बताया कि पहले चरण में ग्रामीणों को अफीम से होने वाले नुकसान और पुलिसिया कार्रवाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
वहीं अब इसके बाद वन विभाग व कृषि विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर ग्रामीण इलाकों में विशेष जागरूकता अभियान चलाकर ग्रामीणों को अफीम के बजाय अन्य दूसरे फसल का उत्पादन कर बंजर होती जमीन को पुनर्जीवित करने व फसल उत्पादन के माध्यम से अपना और अपने परिवार की आर्थिक स्रोत को बढ़ाने के प्रति जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ज्यादातर सुदूरवर्ती व बार्डरिंग इलाकों में नक्सलियों के सह पर अफीम की खेती की सूचना भी मिलती रही है। ऐसे में ग्रामीणों को जागरूक करने जंगलों में पहुंचने वाले पुलिस पदाधिकारियों और सुरक्षा बल हो के साथ अप्रिय घटना ना घटे इसे लेकर एहतियातन अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर जवान जंगल पहुंच रहे हैं।
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माफियाओं, तस्करों और सौदागरों की सूचना पुलिस को देने की अपील
अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ-साथ आम लोगों से भी अफीम के व्यवसाय और उत्पादन से जुड़े माफियाओं, तस्करों और सौदागरों की सूचना पुलिस को देने की अपील की है। कहा है कि सभी के सहयोग से ही अफीम की खेती पर नियंत्रण रखना संभव हो सकेगा। पुलिस अपने अभियान में स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों का भी सहारा ले रही है। गौरतलब है कि ठंड का मौसम आते ही अफीम तस्करों के द्वारा जंगली इलाकों में ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर अफीम की खेती की शुरुआत की जाती है। अफीम की खेती को लेकर ठंड के प्रवेश के दौरान ही तस्करों और माफियाओं के द्वारा खेत तैयार किया जाता है।