RANCHI : 23 जून को अमेरिका में पीएम नरेंद्र मोदी भारत का डंका बजा रहे थे तो पटना में विपक्ष के नेता मोदी हटाओ संकल्प ले रहे थे। इसी विपक्ष के बैठक में कांग्रेस अपनी जमीन तलाश रही थी। इस बीच विपक्ष का कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए हर मोर्चे पर समझौता करने को तैयार है। वहीं कई राज्यों में कांग्रेस ने हाल के चुनावों में जीत हासिल की है। इसके बाद आने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेसियों का उत्साह देखने लायक है। यहीं वजह है कि कुछ राज्यों में प्रतिद्वंदी पार्टियों के नेताओं के साथ भी कांग्रेस एक मंच पर साथ नजर आई।
बिहार में जुटे विपक्ष के नेता
भारत के विपक्षी दल चाहते हैं कि 2024 में होने वाले आम चुनावों में मोदी को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया जाए। इसके लिए 23 जून को ही 15 दलों के नेता बिहार की राजधानी पटना में जुटे। विपक्षी दलों की बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर हुई। विपक्षी दल पीएम मोदी को हटाने का संकल्प ले रहे है। लेकिन सवाल उठता है कि विपक्ष की एकता में कांग्रेस का क्या होगा। 23 जून की बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी उपस्थित रहे। ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पंवार, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल, भगवत मान जैसे नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
कांग्रेस को हरा सत्ता में आए केजरी-ममता
सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, दिल्ली और पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को हरा कर ही सत्ता प्राप्त की है। 20 जून को ही केजरीवाल ने राजस्थान के श्रीगंगानगर में कांग्रेस को हराने की घोषणा की है। केजरीवाल ने भाजपा के साथ साथ कांग्रेस को भी भ्रष्टाचारी बताया है। अब जब मोदी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष बनाया जाएगा तो क्या ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता कांग्रेस के साथ कोई समझौता कर लेंगे? यदि कांग्रेस के साथ समझौता करते हैं तो फिर उनके दलों का क्या होगा।
राजस्थान में अकेले चुनाव लड़ेगी आप
अरविंद केजरीवाल भले ही राहुल गांधी के साथ विपक्ष की बैठक में शामिल हुए, लेकिन केजरीवाल ने घोषणा कर दी है कि राजस्थान के सभी 200 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। गुजरात में भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। इससे गुजरात में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। केजरीवाल ने 23 जून की बैठक में इसलिए उपस्थिति दर्ज कराई ताकि दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस का साथ मिल सके। हालांकि दिल्ली कांग्रेस के नेता पहले ही केजरीवाल का विरोध कर चुके हैं। गुजरात में केजरीवाल को जो वोट मिले उसी का परिणाम है कि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। अब केजरीवाल भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी जैसे नेता भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। मोदी को हटाने के लिए विपक्षी दल महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के साथ बैठने को भी तैयार हैं।
विपक्ष में कांग्रेस का रोल होगा अहम
अखिलेश यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने भाग लिया। यूपी में कांग्रेस के वोट अखिलेश यादव ने ही हड़पे हैं। इसी प्रकार महाराष्ट्र में कांग्रेस के वोट लेकर ही शरद पवार मजबूत स्थिति में है। ममता बनर्जी ने तो कांग्रेस से निकल कर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का सफाया कर दिया। आज बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। विपक्षी एकता में कांग्रेस की भूमिका ही महत्वपूर्ण होगी। मौजूदा समय में भी लोकसभा में कांग्रेस के 49 सांसद हैं, जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु के डीएमके का नंबर है। डीएमके 24 और तीसरे नंबर पर ममता बनर्जी के 24 सांसद हैं।
बीजेपी का तंज, कांग्रेस हो गई बेचारी
पटना में हुए इस विपक्षी एकता के समीकरण में कांग्रेस एक बेचारे की तरह नजर आ रही है। क्यों देश से जनाधार समाप्त होता देख किसी भी स्थिति में कांग्रेस समझौता करने को तैयार है। कांग्रेस के इस हालत पर आज भाजपा चुटकी ले रही है। भाजपा इस विपक्षी बैठक से घबराने के बजाय कांग्रेस के बेचारेपन पर तंज कस रही है।