सारण के मस्तीचक स्थित श्रीरमेशपुरम में देश के सबसे बड़े ग्रामीण नेत्र चिकित्सालय ‘अखण्ड ज्योति आई हॉस्पिटल’ का गुरुवार को शुभारम्भ हुआ। 500 बेड के इस सेंटर ऑफ एक्सिलेंस और सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया। इस अवसर पर छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी, स्थानीय विधायक छोटे लाल राय भी मौजूद थे। उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने अखंड ज्योति परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि हर काम सरकार नहीं कर पाती है। सामाजिक संगठन होते हैं जो अपना सामाजिक दायित्व करते रहते हैं। हमें दो बातों पर हमेशा ध्यान देने की आवश्यकता है, पहला शिक्षा और दूसरा स्वास्थ्य। अखंड ज्योति स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। इस तरह के कार्य करने के लिए अच्छा ह्यूमन बीइंग बनने की आवश्यकता होती है, जो मृत्युंजय तिवारी हैं।
वहीं स्थानीय सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा कि मेरे लिए अस्पताल के संस्थापक मृत्युंजय तिवारी मेरे लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने १५ माह में धरती की सबसे खूबसूरत आई हॉस्पिटल बनाया।
वहीं अस्पताल के संस्थापक मृत्युंजय कुमार तिवारी ने बताया कि यह ग्रामीण क्षेत्र में आँखों की देखभाल के लिए भारत का पहला उत्कृष्ट केंद्र है। इस अत्याधुनिक अस्पताल की स्थापना से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक क्रांति आएगी। ग्रामीण क्षेत्र में इतना बड़ा नेत्र चिकित्सालय खुलने से गरीब ग्रामीण आबादी को दृष्टि प्रदान करने और इस क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
प्रतिदिन 800 से ज्यादा मरीजों को देखने का लक्ष्य
इस अस्पताल में हर दिन 800 से ज्यादा मरीजों को देखा जाएगा। अस्पताल में 11 ऑपरेशन थिएटर हैं जिसमें हर दिन 500 से ज्यादा सर्जरी की जा सकती है। यहां आई बैंक की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के माध्यम से हम मस्तीचक में हर साल 1 लाख 20 हजार से अधिक मुफ्त सर्जरी करने की योजना बना रहे हैं। ‘हमारा लक्ष्य है कि अखण्ड ज्योति अस्पताल अगले सात वर्षों में 15 लाख मुफ्त आँख की सर्जरी करेगा।’ वर्तमान में अखण्ड ज्योति बिहार और उत्तर प्रदेश में अपने पांच शल्यचिकित्सा और 34 दृष्टि केंद्रों में सालाना 80 हजार मुफ्त दृष्टि पुनर्निर्माण ऑपरेशन कर रहा है और पाँच लाख से अधिक रोगियों का जाँच कर रहा है। उद्घाटन कार्यक्रम में गायत्री परिवार के कार्यवाहक प्रमुख और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी भी मौजूद रहे।