नए वर्ष 2024 के शुभ अवसर पर पटना के महावीर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग गया। पूर्वानुमानित भीड़ को देखते हुए पटना प्रशासन और मंदिर के मैनेजमेंट ने पहले से ही सिक्यूरिटी की कड़ी व्यवस्था कर रखी थी। ड्रोन से मंदिर और आसपास के क्षेत्रों की मॉनिटरिंग की जा रही है। हुजूम भी ऐसा उमड़ा है कि मंदिर के आसपास की सडकें, और पटना जंक्शन पर जबरदस्त भीड़ इकट्ठी हो गयी। इस दौरान रोड भी पूरी तरह जाम हो गया। इससे पूर्व महावीर मंदिर के महासचिव और न्यास बोर्ड के अध्यक्ष किशोर कुणाल से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि भाडी भीड़ आने को पहले से ही अनुमानित किया गया था। उसी के अनुसार लाखों की संख्या में भीड़ जमा होने का अनुमान लगाया गया था। इसे देखते हुए कुल 20,000 नैवेद्यम लड्डू बनाए गए है। भक्तों के जबरदस्त भीड़ के चलते हमेशा की तरह रात के 2 बजे ही भगवन का पट खोल दिया गया। मंदिर की बात करें तो इसका इतिहास काफी पुराना रहा है। ऐतिहासिक साक्ष्य ये दर्शाते हैं कि मंदिर का निर्माण 1730 ई० में ही हो गया था। वहीँ कुछ बुजुर्गों के मतानुसार इस मंदिर के स्थापना की तिथि या जानकारी किसी को भी नहीं है। उनके अनुसार प्रभु हनुमंत का ये मंदिर स्वयंभू है। वैसे तो रामानंदी संप्रदाय के तपस्वी स्वामी बालानंद द्वारा मंदिर की नीव 18वीं सदी में ही कर दी गयी थी, लेकिन इसके पुख्ता प्रमाण के बारे में कुछ विशेष नहीं कह सकते। यह तर्क दिया जाता है कि 1900 ई० तक यह उसी सम्प्रदाय के अधीन रहा। फिर उसी वर्ष गोसाई सम्प्रदाय के अधीन हो गया और 1948 में पटना उच्च न्यायालय ने मंदिर प्रशासन में हस्तक्षेप करते हुए इसे ट्रस्ट के अधीन ला दिया। साथ ही मंदिर का निर्माण भी शुरू कर दिया गया, जो 1963 में बन के तैयार हुआ। पुनः 1987 में इसे तोड़कर कर फिर से नया रूप दिया गया। मंदिर प्राच्य और नवीन शैली के मिश्रण से नागर शैली में बना है। पटना या बिहार ही नहीं ये मंदिर पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। इसका सर्वप्रमुख कारण है मंदिर में प्रभु की दो मूर्तियाँ प्राणप्रतिष्ठित हैं। एक हैं दुःखहरण और एक हैं मनोकामनापूर्तिकरन।