[Team Insider]: पंजाब (Punjab) की रहने वाली चेस खिलाड़ी मलिका हांडा (chess player Malika Handa) ने देश के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीती हैं। देश और राज्य का नाम रोशन किया है लेकिन अब उनके साथ राज्य सरकार अन्याय कर रही है। उन्हें सम्मान और सहायता की जगह सिर्फ सांत्वाना दी गई है। सरकार उन्हें सहायता नहीं दे रही। इसके लिए अब वो और उनकी मां ने राज्य सरकार (Punjab Government) की पॉलिसी पर सवाल उठाया है।
ये सारे मेडल और सर्टिफिकेट बेकार हो गए
शतरंज खिलाड़ी मलिका ने कहा कि ये सारे मेडल और सर्टिफिकेट बेकार हो गए हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों को लाखों-करोड़ों का पुरस्कार मिलता है। मैं खेल छोड़ दूंगी। मेरी 10 साल की मेहनत बेकार चली गई। बता दें कि मलिका पंजाब में जालंधर की रहने वाली हैं। वह मूक-बधिर शतरंज खिलाड़ी हैं जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में कई पदक जीते हैं। लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने अपना किया हुआ वादा नहीं निभाजा। राज्य सरकार उनसे किए गए वादों को पूरा करने में अबतक विफल रही है।
सरकार की पॉलिसी पर उठाए सवाल
मलिका हांडा की मां रेणु हांडा ने कहा कि कई स्तरों पर पंजाब के कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मलिका को नौकरी और नगद इनाम देने का वादा किया, लेकिन नहीं किया। राज्य के खेल मंत्री परगट सिंह ने उन्हें प्राथमिकता के आधार पर एक पुरस्कार समारोह में शामिल करने का वादा किया लेकिन बाद में कहा कि यह उनकी नीति नहीं है। 5 साल बाद कोई पॉलिसी क्यों नहीं है?
13 मेडल जीत चुकी हैं मलिका
मलिका की मां ने कहा कि अबतक 7 राष्ट्रीय स्वर्ण, 4 अंतरराष्ट्रीय रजत और 2 अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी खेल मंत्री परगट सिंह ने किसी भी इनाम से इनकार करते हुए कहा कि वह अपनी जेब में चेक बुक नहीं रखते हैं। और कहा कि अपनी मांगों के लिए हमें पिछली सरकार के पास जाना चाहिए।