गैंगरेप के आरोपी बिहार के चर्चित IAS संजीव हंस की गिरफ्तारी को लेकर आज फैसला होना है। महिला के आरोपों के बाद संजीव हंस ने पटना हाईकोर्ट से राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने संजीव हंस को तत्काल तो राहत दे दी थी। लेकिन दलीलों पर सुनवाई चल रही थी। पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले की डेट 6 अगस्त को स्केड्यूल की गई थी। आज लिस्ट में केस जजमेंट के लिए पहले नंबर पर है।
संजीव और गुलाब यादव ने पटना हाईकोर्ट में रूपसपुर थाना में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के लिए क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी। पटना हाईकोर्ट में आईएएस संजीव हंस की ओर से दायर याचिका की सुनवाई इसी साल जून महीने में हुई। सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला की तरफ से एडवोकेट ने सीआरपीसी 340 के तहत याचिका दायर की थी। इसलिए कोर्ट ने उस दिन फैसला नहीं सुनाया और इसे सुरक्षित रख लिया। इधर फैसला आने से पहले ही सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया है।
औरंगाबाद की पीड़िता ने कोर्ट के माध्यम से पटना के रूपसपुर थाना में गैंगरेप का केस दर्ज कराया था। प्राथमिकी में नामजद अभियुक्तों (53 साल के गुलाब यादव, 48 साल के संजीव हंस और गुलाब यादव के नौकर ललित) द्वारा धोखाधड़ी और साजिश कर जान मारने की धमकी देकर रेप और सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया। इस दौरान रेप का वीडियो बनाया और उसे वायरल करने की धमकी देकर गर्भपात कराया गया। पटना पुलिस की जांच में आरोपों की पुष्टि हुई। पटना एसएसपी राजीव मिश्रा ने 17 अप्रैल 2023 को रिपोर्ट दी, जिसमें सिटी एसपी की भी रिपोर्ट पर सहमति जताते हुए गैंग रेप के आरोपों की पुष्टि की थी।