चेन्नई स्थित भारत सरकार के जी आई रजिस्ट्री के समक्ष देवघर पेड़ा के के लिए जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) की मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है। उक्त आवेदन जीआई विशेषज्ञ और वकील डॉ. सत्यदीप कुमार सिंह के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इससे पहले राष्ट्रीय विदी विश्वविद्यालय से जुड़े रहे डॉ. सिंह के ही माध्यम से झारखंड को सोहराई-खोबरपेंटिंग के रूप में पहला जीआई प्राप्त हुआ जबकि झारखंड के पैंटकर पेंटिंग और मांदर के लिए प्रयास चल रहा है और आवेदन दिया जा चुका है। देवघर पेड़ा के के लिए प्रस्तुत किये गए तक़रीबन 100 पृष्ठों के आवेदन में देवघर पेड़ा के विभिन्न आयामों का वर्णन किया गया है।
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जीआई दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन रही प्रयासरत
आवेदन में वैद्यनाथ धाम के बाह्य प्रसाद के रूप में तीर्थयात्रियों द्वारा लिए जाने वाला देवघर पेड़ा की ऐतिहासिकता के अलावा इसकी विशेषता का भी दावा किया गया है। ऐतिहासिकता के विषय में अन्य उदाहरण के अलावा राजेंद्र लाल मित्रा द्वारा 1883 में एसियाटिक सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित उनके आलेख, विभिन्न समय में प्रकाशित गजेटियर, हाल ही में वैद्यनाथ धाम और उसकी तीर्थयात्रा पर रुमा बोस द्वारा लिखी गई शोध पुस्तक से भी उदाहरण प्रस्तुत किये गए हैं। देवघर पेड़ा की जीआई दिलाने के लिए देवघर उपायुक्त के नेतृत्व में स्थानीय प्रशासन प्रयासरत रही है।