घटना पश्चिम बंगाल कि है, जहां आसनसोल बराबनी के पुचड़ा दिगंबर जैन हाई स्कूल में स्कूल प्रशासन द्वारा जारी ड्रेस कोड (Dresscode) को लेकर स्कूल की छात्राओं और अभिभावकों ने जमकर प्रदर्शन किया। वहीं स्कुल के छात्राओं और अभिभावकों ने विधालय पर आरोप लगाया है की स्कूल के प्रधानाध्यापक ने स्कुल में नए फरमान जारी किया है।
स्कूल का फरमान
उस फरमान के अनुसार स्कुल की छात्राएँ केवल स्कुल का ड्रेस ही पहनकर आएँगी। इसके अलावा छात्राओं को कुछ अलग से पहनने की अनुमति नहीं है। चाहे वह लेगिंस हो या फिर कुछ और छात्राओं ने स्कूल प्रधानाध्यापक पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्कुल मे चल रहे क्लास के दौरान उनके लेगिंस भी खुलवा दिए और उन्हें पेनिसमेंट के तौर पर स्कूल कैम्पस मे तपती धुप में घंटो खड़ा रखा। जब छात्राओं ने स्कूल के प्रधानाध्यापक के व्यवहार के बारे में अपने अभिभावकों को बताया। जिसके बाद अभिभावकों ने स्कुल के प्रिंसपल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्कूल मे जमकर हंगामा किया। वहीं तपती धुप मे खड़े रहने से दो छात्राओं की तबियत भी बिगड़ गई।
स्कुल में हंगामा
वहीं स्कूल मे चल रहे हो हंगामे की सुचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और काफी मशक्कत के बाद मामले को शांत करवाया। हालांकि इस मामले मे स्कूल के प्रधानाध्यापक का कहना है कि कोरोनाकाल मे स्कूल बंद था जिस कारण छात्र और छात्राओं को पढ़ाई लिखाई मे काफी नुकसान हुआ है। उन सभी को ठीक से लिखना और पढ़ना नहीं आ रहा है। जिस कारण शिक्षक उनका हाँथ पकड़ कर उन्हें सीखा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अब गर्मी का सीजन आ चूका है।
प्रधानाध्यापक की सफाई
इस सीजन मे भी स्कूल की कई छात्राएँ स्कूल मे लेगिंस और स्वेटर पहनकर आ रही थी ऐसे मे स्कूल का ठीक से पालन ठीक से पालन हो सके इसलिए उन्हें कई बार स्कूल ड्रेस पहनकर आने के लिए कहा गया। फिर भी वह बार-बार स्कूल मे लेगिंस और स्वेटर ही पहनकर आ रही थी जबकि स्कूल में पाँचवी क्लास से लेकर सातवीं तक की छात्राओं को सफ़ेद सट और ब्लु स्कर्ट जूता और मोजा पहनकर आने का आदेश दिया गया है। वहीं क्लास आठवीं से लेकर दसवीं तक की छात्राओं को सफ़ेद सलवार और कमीज सफ़ेद दुपट्टा व सफ़ेद फीता पहनकर आने का आदेश दिया है। वहीं इस आदेश का पालन नहीं करने पर उसे क्लास करने नहीं दिया जा सकता। ऐसे में छात्राओं को स्कूल पेनिसमेंट नहीं बल्कि शिक्षा दे रही है की वह स्कूल के नियम को पालन करें।