बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर एक बार फिर नए विवाद में हैं। रामचरितमानस पर सवाल उठाने, बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्ति में परमिशन देने के विवाद के बाद अब चंद्रशेखर अपने ही विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ में खड़े हो गए हैं। हाल ही में केके पाठक ने शिक्षा विभाग में कार्यभार संभाला है। इसके बाद से एक्शन में दिख रहे केके पाठक का उलटा रिएक्शन हो गया है। शिक्षा मंत्री ने केके पाठक के जोशीले तेवर के खिलाफ पीत पत्र भेज दिया है।
गलत तरीके से कार्यरत कर्मियों और शिक्षकों पर होगी कार्रवाई, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश
पत्र में लगाए कई आरोप
शिक्षा विभाग में इंट्री के बाद से ही केके पाठक सुर्खियों में हैं। अपनी चिर परिचित शैली में सबसे पहले उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली को दुरुस्त करने की कोशिश की। उनके अनुसार विभाग के कर्मी सही तरीके से न आचरण कर रहे थे और न ही काम कर रहे थे। लिहाजा केके पाठक ने विभाग में व्यवस्था को सुधारने के लिए नोटिस जारी किए। केके पाठक की सोच रही होगी कि ऐसे नोटिस से विभाग के अधिकारी व कर्मी काम पर ध्यान देंगे। लेकिन उनकी इस सोच का उल्टा असर हुआ है। क्योंकि विभागीय मंत्री चंद्रशेखर ने पीत पत्र में उन पर कई आरोप लगाए हैं।
कार्यसंहिता से काम नहीं करने का आरोप
चंद्रशेखर ने केके पाठक को भेजे पत्र में उन पर कार्यसंहिता के हिसाब से काम नहीं कार्यसंहिता के मुताबिक काम नहीं करने का आरोप लगाया है। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि राजपत्रित अधिकारियों को भी उनके पद के अनुरूप काम नहीं दिया जा रहा है। विभाग के ऐसे कई अधिकारी हैं, जिनसे उनके पद से नीचे के स्तर के काम लिए जा रहे हैं। यह विभाग के नियमों के अनुकूल नहीं है। ये सवाल सीधे केके पाठक की न सिर्फ कार्यशैली पर उठे हैं, बल्कि अगर इन आरोपों में सच्चाई होगी तो यह अपराध भी होगा।
मीडिया की खबरों से परेशान मंत्री
पीत पत्र की शुरुआत ही इसी बात से हुई है कि विभाग लगातार मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में है। शिक्षा मंत्री ने अपने पत्र में कहा कि विभाग में ज्ञान से ज्यादा नट बोल्ट टाइट करने, शौचालय सफाई, झाड़ू मारने, ड्रेस पहनने, फोड़ने, डराने, पैंट गीली करने, नकेल कसने, वेतन काटने, निलंबित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है। विभाग की कार्यवाही का टीवी पर टेलीकास्ट हो रहा है। यह नियमों के विरूद्ध है।
मंत्री ने दिए निर्देश
पीत पत्र के माध्यम से शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर केके पाठक नियमानुसार कार्य करें। मीडिया में बयानबाजी से बचने का निर्देश देते हुए IPRD के SOP का पालन करने का निर्देश दिया है। जरुरी है तो PRO नामित करने की प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है।