बिहार में कार्यरत चार लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य के नियोजित शिक्षकों को विद्यालय शिक्षकों के बराबर लाने के लिए शिक्षा विभाग ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली सार्वजनिक की है। इसमें साफ किया गया है कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) सेबहाल होनेवाले शिक्षकों की तरह नियोजित को भी सुविधाएं और वेतनमान दिया जाएगा। नियोजित शिक्षक अब विशिष्ठ शिक्षक कहलाएंगे. इसके लिए राज्य सरकार चयनित एजेंसी के माध्यम से नियोजित शिक्षकों का सक्षमता परीक्षा लेगी. परीक्षा पास करने के लिए तीन अवसर दिये जाएंगे। तीसरे प्रयास में भी असफल रहे शिक्षकों को सेवा से हटा दिया जाएगा। सरकार के इस फैसले का टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह, टीईटी शिक्षक संघ (मूल) के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप डिसूजा, टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम एवं टीईटी शिक्षक संघ ( भारतीय मजदूर संघ) के प्रदेश अध्यक्ष नितेश कुमार ने संयुक्त रूप से बयान जारी समर्थन किया है। लेकिन उनकी कुछ असहमतियाँ भी हैं।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा की एक और मांग
शिक्षक संघर्ष मोर्चा की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सरकार ने नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग राज्यकर्मी के दर्जा को लेकर जो पहल की है वो स्वागतयोग्य है। लेकिन प्रस्तावित नियमावली के कई बिंदुओं पर हम सभी को आपत्ति है। सभी शिक्षक नेताओं ने एक स्वर में सरकार द्वारा राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए विभागीय परीक्षा का समर्थन किया एवं सरकार से यह मांग की है कि प्रस्तावित परीक्षा का सिलेबस व पैटर्न पूर्व में नियोजित शिक्षकों के लिए आयोजित दक्षता परीक्षा के अनुरूप ही रखा जाए। परीक्षा का आयोजन नियमावली लागू होने के एक माह के अंदर किया जाए। लेकिन तीन बार परीक्षा में फेल होने पर सेवा मुक्त करने के प्रावधान को हटाया जाए। ये प्रावधान किसी भी सूरत में शिक्षकों को स्वीकार्य नहीं है।
“ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ मिले”
शिक्षक संघर्ष मोर्चा की तरफ से आगे कहा गया है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने जाने से उनकी बहुत सारी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी। विशेषकर जो नियोजित शिक्षकों की वर्षों से जो ऐच्छिक स्थानांतरण की लंबित मांग है वो भी पूरी हो जाएगी। हालांकि 2020 नियमावली में भी शिक्षिकाओं के लिए ऐच्छिक और शिक्षकों के लिए पारस्परिक स्थानांतरण का प्रावधान किया गया था लेकिन उसे 3 साल बीत जाने के बावजूद लागू नहीं किया जा सका। हम सरकार से यह मांग करते हैं कि विभागीय परीक्षा के तत्काल बाद नियोजित शिक्षकों को ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ देते हुए ज्वाइनिंग करवाई जाए।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा की आपत्तियां
1. विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए प्रयुक्त नई शब्दावली ‘विशिष्ट शिक्षक’ के बदले BPSC उत्तीर्ण शिक्षकों की भांति ‘विद्यालय अध्यापक’ ही रखा जाए। विशिष्ट शिक्षक शब्दावली का प्रयोग विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए किया जाता है। ऐसे में ये नया नाम हमें स्वीकार नहीं है।
2. एक विद्यालय में दो कोटि के शिक्षक न बनाए जाएं। इसलिए अत्यावश्यक है कि एक ही कॉमन नियमावली विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों एवं बीपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए बनाया जाए। एक विद्यालय में एक ही संवर्ग के शिक्षक हों। इस से विद्यालय शैक्षणिक वातावरण बेहतर रहता है।
3. विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को नए पे-स्ट्रक्चर में वर्तमान में प्राप्त मूल वेतन के समस्थानिक इंडेक्स का मूल वेतन दिया जाए। इस से किसी भी प्रकार की वेतन विसंगति नहीं आएगी और भविष्य में भी आपसी वरीयता को लेकर कोई विवाद नहीं होगा। अन्यथा की स्थिति में बहुतेरे प्रकार के वेतन विसंगति एवं वरीयता को लेकर विवाद की स्थिति बनेगी।
4. विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को सेवा निरंतरता का लाभ दिया जाए एवं प्रोन्नति को लेकर 2012 नियमावली के तहत प्रावधानों को अक्षुण्ण रखा जाए। स्नातक ग्रेड के शिक्षकों को 5 वर्ष के प्रशिक्षित वेतनमान में सेवा के बाद वरीय स्नातक शिक्षक के पद पर अनिवार्य रूप से प्रोन्नति दी जाए।