पश्चिम चंपारण ज़िला से एक अच्छी खबर सामने आई है। जहां इस वर्ष रबी फसलों (Rabi Crops) के पैदावार में बढ़ोतरी कि संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही कृषि विभाग के अधिकारी औऱ किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं। दरअसल इस साल रबी फसलों के लिए प्रतिकूल मौसम के बीच कृषि विभाग द्वारा समय पर बीज औऱ खाद उपलब्ध कराए जाने से किसानों के खेतों में चारों ओर हरियाली छाई है। रबी फसलों में एक ओर दलहन की खेती से किसान गदगद हैं तो वहीं तेलहन में सरसों के लहलहाते फ़सल इस बात की तस्दीक कर रहे हैं।
दलहन और तेलहन के लहलहाते फसल
बताया जा रहा है कि ज़िले के बगहा औऱ रामनगर प्रखण्ड क्षेत्रों में हज़ारों एकड़ जमीन पर लगे रबी फसलों में कई साल बाद बेहतर पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारी औऱ किसान बता रहे हैं कि रबी फसलों के लिए इस बार प्रकृति मेहरबान है। वहीं मौसम ने भी लगातार साथ दिया है। यहीं वज़ह है कि दलहन औऱ तेलहन के लहलहाते फसलों को देखकर किसानों के चेहरे खिल उठे हैं और कृषि विभाग के अधिकारी भी बढ़ते पैदावार को लेकर ख़ुश हैं ।
कृषि विभाग का मिला सहयोग
इसी बीच देरी से शुरू हुई ठंड के कारण लगातार शीतलहर औऱ कुहासे से रबी फसलों के कुछ नुकसान की आशंका जताई जा रही है। जिससे किसान थोड़े चिंतित जरुर हैं, लेकिन फ़िर भी विगत वर्षों के वनिस्पत 2021 औऱ 2022 के इस सत्र में रबी फसलों के पैदावार में इज़ाफ़े की प्रबल संभावना है। हालांकि समय पर हुई खेती के साथ बीज, खाद औऱ समुचित पानी ने खेतों में नई ऊर्जा और जान भर दी है। जिससे दलहन औऱ तेलहन कि फैसले चारों ओर लहलहा रहे हैं।
कड़ाके की ठंड आगे कितना प्रभावी
ऐसे में एक ओर जहां कृषि विभाग समय पर बीज औऱ खाद वितरण किए जाने को इसका सफ़ल कारण बता रहा है तो वहीं किसान भी फ़िलहाल कृषि विभाग के सहयोग से रबी फसलों के पैदावार बढ़ाने में सहयोग मिलने से ख़ुश नज़र आ रहे हैं । अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार देर से शुरू हुई कड़ाके की ठंड औऱ शीतलहर आगे कितना प्रभावी होता है। हालांकि अत्यधिक ठंड पड़ने से रबी फसलों को होने वाले नुकसान से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।