भाजपा नेता द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर दिए बयान के मामले में बड़ी राहत मिली हैं। भाजपा नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर ऐलान किया था जिसमें कहा था कि मांझी के जीव काट कर लाने वाले को 11 लाख इनाम दिया जाएगा। जिसके बाद भाजपा नेता के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. अंशुमन की एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दिया हैं शिकायतकर्ता स्वयं पीड़ित नहीं था बल्कि उसने अपने दल के अध्यक्ष की ओर से यह आवेदन दायर किया था। जिसको आधार मान कर याचिका निरस्त की गई।
कई आईपीसी धारा में दर्ज हुई थी याचिका
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की ‘ जीभ काटकर लाने’ वाले बयान को लेकर मुश्किलों में फंसे भाजपा नेता को पटना हाई कोर्ट ने बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने दायर याचिका को निरस्त कर दिया है। दरअसल, भाजपा नेता के खिलाफ आईपीसी की धारा 500, 501, 504, 506 और एससी – एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. अंशुमन की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया जाए।
मांझी ने ब्राह्मणों के खिलाफ की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
वहीं, इस मामले को लेकर भाजपा नेता के अधिवक्ता प्रिंस कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि प्राथमिकी सीआरपीसी की धारा 193 के तहत निर्धारित कानून के आलोक में खारिज कर देने योग्य है क्योंकि प्राथमिकी के शिकायतकर्ता स्वयं पीड़ित नहीं है बल्कि उन्होंने अपने दल के अध्यक्ष की ओर से यह आवेदन दायर किया है। जिसके बाद कोर्ट ने तत्वों के मद्देनजर भाजपा नेता गजेंद्र झा के खिलाफ दायर प्राथमिकी को निरस्त कर दिया।
यह मामला साल 2021 का है जब एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उनके इस बयान पर भाजपा के तत्कालिक प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य गजेंद्र धार ने पलटवार किया और मांझी के जीव काट कर लाने वाले को 11 लाख इनाम देने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद इनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई। वहीं भाजपा ने भी इस बयान को लेकर कार्रवाई करते हुए गजेंद्र धार को पार्टी से निकाल दिया था।