राजधानी पटना में पिछले कई दिनों से नगर निगम के सफाईकर्मी प्रदर्शन कर रहे। जिससे पटना में साफ-सफई का काम बंद पड़ा हुआ है। इस वजह से पूरे पटना में कचड़े का अंबार लग गया है। हर तरफ कचरे दुर्गंध से लोगों की काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर चलने वालों के साथ-साथ आसपास के घरों में रहने वाले भी कचरे की बदबू से परेशान है। बता दें कि दैनिक मजदूरों का यह हड़ताल दस दिन से अधिक से जारी है।
35 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल
पटना नगर निगम के 8 हजार कर्मचारी 35 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। निगम कर्मियों की मुख्य मांग है कि बीते कई सालों से कार्यरत दैनिक कर्मियों को स्थाई किया जाए। न्यूनतम वेतन 18-21 हजार किया जाए। समाप्त किए गए चतुर्थ वर्ग के पद को फिर से बहाल किया जाए। आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त कर आउटसोर्स में कार्यरत कर्मियों को नगर निगम कर्मी के रूप में समायोजन किया जाए। समान काम का समान वेतन लागू किया जाए। निगम कर्मियों के स्वास्थ्य सुरक्षा की गांरटी समेत अन्य मांगें शामिल हैं।
आयुक्त बोले – कर्मियों की ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेंगे
नगर निगम का दावा है कि वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। हालांकि, ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। हड़ताल से शहर में सफाई व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है। आयुक्त का कहना है कि वेतन बढ़ाया गया है, लेकिन कर्मियों की ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेंगे। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन नहीं होने से लोग सड़क पर कूड़ा फेंकने लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कचरे के कारण जाम भी लगने लगा है। वहीं त्योहार नजदीक हैं, ऐसे में शहर की सफाई होनी चाहिए थी, लेकिन हर तरफ कचरा फैल रहा है। कचरे से आम से लेकर खास तक परेशान हैं।