देश के विभिन्न हिस्सों में जेल में बंद कैदी किसी न किसी तरह फोन का इस्तेमाल कर लेते है। जेल के अन्दर होते हुए भी रंगदारी मांगना, हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम देते है। जेल में कई साल गुजर जाने के बाद भी उनका बाहरी दुनियां में खौफ बना रहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह मोबाइल है जिसके माध्यम से वो अब भी जेल से बाहर रह रहे लोगों से संपर्क में रहते है और लोगों में खौफ बनाए रखते है। जिसको रोकने के लिए बिहार सरकार की ओर से उचित कदम उठाने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने बिहार के विभिन्न जेलों में कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम लगाने का फैसला किया है इसके साथ ही जेल के अंदर सामान ले जाने की चौकसी भी बढ़ाई जाएगी।
बढ़ाई जाएगी स्कैनर व फ्रिस्किंग मशीनों की संख्या
बिहार की जेल में कई बार औचक निरीक्षण के दौरान आला अधिकारियों को मोबाइल फोन मिलने के मामले सामने आए। जिसको देखते हुए बिहार की जेल में सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अब बिहार की जेल में ‘हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम’ (HCBS) के टावर लगाने का अहम फैसला लिया गया है। यह फैसला अवैध कॉल को रोकने के लिए लिया गया है। इसके लिए गृह विभाग ने पहले चरण में 8 सेंट्रल जेल समेत 15 प्रमुख जेल में इसे लगाने की स्वीकृति दी है। इस सिस्टम को लगाने के बाद जेल के अंदर मोबाइल नेटवर्क को ड्रॉप किया जा सकेगा। इसके साथ ही जेल के अंदर सामान ले जाने की चौकसी भी बढ़ाई जाएगी। सभी जेलों में तलाशी बूथ स्थापित करने की योजना को मंजूरी मिल गई है। इसके तहत कैदियों एवं अन्य की नियमित जांच को लेकर स्कैनर व फ्रिस्किंग मशीनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
जेल कैंपस से अवैध फोन कॉल को रोकने के लिए राज्य की सभी 15 जेलों में ‘हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम’ (HCBS) के टावर लगाने का अहम फैसला किया है। ये टावर केंद्रीय कारागार (बेउर, पटना), केंद्रीय कारागार (बक्सर), केंद्रीय कारागार (मोतिहारी), शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार (मुजफ्फरपुर), केंद्रीय कारागार (पूर्णिया), शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारागार (भागलपुर) में लगाया जाएगा। इनमें विशेष केंद्रीय कारागार (भागलपुर), केंद्रीय कारागार (गया), जिला कारागार (छपरा), जिला कारागार (दरभंगा) शामिल हैं। इनके अलावा जिला कारागार (सहरसा), जिला कारागार (मुंगेर), जिला कारागार (फुलवारी शरीफ), उप-जेल (दानापुर) और उप-जेल (पटना सिटी) में स्थापित किए जाएंगे।