हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो गए है, जम्मू-कश्मीर में अपनी सहयोगी नेशनल कान्फ्रेंस के साथ कांग्रेस सरकार बनाएगी तो हरियाणा में भाजपा अपने बल बूते पर सरकार का गठन करेगी। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बाद अब झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इन चुनावों पर हरियाणा के नतीजों का क्या असर होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकीं हुईं हैं।
कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के नताजे अप्रत्याशित नहीं हैं। इसलिए उसका असर इस साल होने वाले झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन हरियाणा के नतीजे जरूर इन दोनों राज्यों में मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेंगे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि ‘झारखंड में सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक की पार्टियां जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी का मनोबल इससे निश्चित कमजोर होगा, कांग्रेस जिस अकड़ से झारखंड में जेएमएम के सामने रोटेशन पर सीएम बनाने की शर्त पर अड़ी हुई थी, अब शायद वह कमजोर पड़ेगी और शर्त से पीछे हट जाएगी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि रोटेशन सीएम के सवाल पर अटकी कांग्रेस अभी तक झारखंड में इंडिया ब्लॉक में सीटों का बंटवारा नहीं कर पाई है, जबकि एनडीए में सीटें बंट चुकी हैं और अगले दो-चार दिनों में उम्मीदवारों की घोषित कर दिए जाएंगे।’
राजनीतिक गलियारों में तो ये भी चर्चा है कि हरियाणा में बीजेपी ने 3 फैक्टर पर काम किया जिसके बारे में कांग्रेस नेताओं ने शायद कभी सोचा ही नहीं होगा। सबसे पहला ये कि भाजपा ने अपने गैर जाट वोटरों पर भरोसा बनाए रखा। दूसरा ये कि कांग्रेस, इनेलो, जजपा और अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों ने जाट वोटों के लिए मारामारी की, इससे जाट वोटों में बंटवारा हो गया और भाजपा ने बाजी मार ली। तीसरी और आखिरी वजह ये कि कांग्रेस की रणनीति। अपनी कमियों-कमजोरियों को भाजपा ने महसूस किया और समय रहते उसे दुरुस्त किया। नतीजतन उसकी सरकार अब हरियाणा में बनने जा रही है। कहा जा रहा है कि अगर ऐसे ही जमीन तराशने के लिए झारखंड में बीजेपी मेहनत करे तो सरकार बनाने के लिए ज्यादा पापड़ नहीं बेलने पड़ेंगे।