[Team insider] पेड़-पौधों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। धरती पर मौजूद पेड़-पौधे की अपनी अहमियत है, जिसकी वजह से हमारी जमीन हरी-भरी नजर आती है। जंगलों को संरक्षित करने और अधिक पेड़ लगाने पर अक्सर जोर दिया जाता है। लेकिन इन दिनों हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत मंडई खुर्द से सटा जंगल का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। प्रतिदिन लगभग दर्जनों की संख्या में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे जंगल धीरे धीरे मैदान में तब्दील होता जा रहा है।
कटाई के कारण बढ़ रहा है ग्लोबल वार्मिंग
एक ओर जहां वनों की लगातार हो रही कटाई के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है, वहीं दूसरी और प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। यह सामान्य सा ज्ञान है कि पौधें ऑक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं। वे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं, जो वातावरण के लिए हानिकारक होती हैं। पेड़ और जंगल हमें पूरी हवा के साथ-साथ वातावरण की भी सफ़ाई करने के लिए मदद करते हैं। लगातार वनों की हो रही कटाई से कई जीव-जन्तु धरती से लुप्त हो चुके हैं।
कटाई के बाद भी वन अधिकारी चुप्प
वनों की लगातार हो रही कटाई के बाद भी वन अधिकारी अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। वही गांव के मुखिया प्रतिनिधि ओम प्रकाश ने बताया कि कई बार इस विषय पर आवाज उठाया गया, परंतु अभी तक कोई उचित निर्णय नहीं मिल पा रहा है। वन अधिकारी पूर्ण रूप से सोए हुए हैं। उन्हें इस प्रकार धड़ल्ले से अवैध रूप से वनों की कटाई नहीं दिख रही है। एक ओर जहां सरकार पेड़ों को बचाने की मुहिम चला रहा है वहीं दूसरी ओर जंगलों को बचाने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
भू माफियाओं का मनोबल बढ़ा
कुछ साल पहले मंडई के कुछ हिस्सों में कई एकड़ जमीन पर वन लगाने का कार्यक्रम चल रहा था। परंतु आज वहां एक भी पेड़ दिखाई नहीं दे रहा। ऐसा लग रहा कि सरकार द्वारा आया सारा पैसा आपस में बदर-बांट हो गया। मुखिया प्रतिनिधि का मानना है कि पौधे लगाने के बाद दोबारा कोई भी कर्मी ना तो जल देने आये, ना ही उसे बचाने के लिए कोई घेराव किया गया। अगर इस अवैध कटाई को नहीं रोका गया तो भू माफियाओं का मनोबल और बढ़ता जाएगा, पेड़ों की कटाई और तीव्र होती जाएगी, पर्यावरण और दूषित होने लगेगा जिससे वह दिन दूर नहीं जब जंगल पूरी तरह से साफ हो जाएगा और इसका पूरा जिम्मेवार वन विभाग कर्मी होंगे।