‘धमकी’ का मतलब निगेटिव होता है। मगर बिहार में इस ‘धमकी’ शब्द का इस्तेमाल चमकी नाम के रोग के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए किया जा रहा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक अवेयरनेस एडवरटिजमेंट स्वास्थ्य केंद्रों पर व सार्वजनिक जगह पर लगाया गया गया है, जिसमें ‘चमकी की धमकी’ का जिक्र किया गया है। ‘धमकी’ देने के तीन तरीके भी सुझाए गए हैं।
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‘चमकी को धमकी’ की तीन बातें
स्वास्थ्य विभाग के पोस्टर में कहा गया है कि इस गर्मी हम मिलकर देंगे चमकी की धमकी। ये तीन धमकियां याद रखें। जिसमें सबसे पहले कहा गया है खिलाओ। बच्चों को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं। यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलाएं। दूसरा जगाओ। इसके तहत सुबह उठते बच्चों को भी जगाएं, देखें कहीं बेहोशी या चमकी तो नहीं। और तीसरा अस्पताल ले जाओ। अगर बच्चे में बेहोशी या चमकी के लक्षण दिखे तो तुरंत आशा को सूचित कर तुंरत नि:शुल्क 102 एम्बुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
15 साल तक के बच्चे होते हैं प्रभावित
गर्मी के मौसम में चमकी बीमारी सारण, सिवान गोपालगंज समेत उत्तर बिहार में देखने को मिलती। 15 साल तक के बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसके इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। बोलचाल की भाषा में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को चमकी बुखार कहा जाता है। इसे दिमागी बुखार के नाम से भी कुछ लोग जानते हैं। इससे पीड़ित मरीज का शरीर अचानक सख्त हो जाता है। मस्तिष्क और शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। 15 साल तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इम्यूनिटी कम होना इसकी एक वजह है। बहुत ज्यादा गर्मी और नमी के मौसम में ये बीमारी ज्यादा होती है।