RANCHI : रिम्स में शुक्रवार को डायरेक्टर डॉ कामेश्वर प्रसाद का फेयरवेल कार्यक्रम आयोजित था। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। उन्होंने डायरेक्टर डॉ कामेश्वर प्रसाद के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई। साथ ही कहा कि उनके रिसर्च का फायदा रिम्स को आने वाले समय में भी मिलेगा। डायरेक्टर के जल्दी रिम्स छोड़ने पर उन्होंने कहा कि डायरेक्टर को भागना होता तो वे कोरोना काल में ही स्थितियों से घबराकर भाग जाते। लेकिन उन्होंने सबकुछ देखा और स्थितियों को संभाला भी।
डायरेक्टर के मैथ पर मारा जोक
इस दौरान उन्होंने डायरेक्टर की मैथमैटिक्स की जानकारी पर भी जोक मारा। उन्होंने कहा कि मछली के बच्चे को कोई तैरना सिखाता है क्या। डायरेक्टर तो खुद बनिया के बच्चे है और उन्हें मैथ सिखाने की जरूरत है क्या। बताते चलें कि डॉ गणेश चौहान ने डायरेक्टर के रिसर्च, एकेडमिक्स और थिसिस के अलावा मैथमैटिक्स ज्ञान के बारे में सभी को अवगत कराया था। इसी पर स्वास्थ्य मंत्री ने जोक मारा। उन्होंने कहा कि डायरेक्टर और मेरे बीच मतभेद की बातें आती रही। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। कई बार हमारे विचार एक नहीं हो सकते। मैंने पहले ही दिन डायरेक्टर को कहा था कि अगर किसी विषय पर लगे कि मैं गलत हूं तो समाज के हित में फैसला वे ले सकते है।
रिम्स को डायरेक्टर ने दी गुरु दक्षिणा
इससे पहले रिम्स डायरेक्टर ने रिम्स से अपने जुड़ाव की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आरएमसीएच के टाइम में उन्होंने यहां पर पढ़ाई की। हजारीबाग में घर होने के कारण यहां से लगाव रहा। इसलिए रिम्स में डायरेक्टर के पद आया। साथ ही उन्होंने कहा कि रिम्स से मैंने डॉक्टरी की। इसके लिए मैंने अपनी गुरु दक्षिणा दे दी है। 2.85 लाख का चेक मैंने रिम्स के नाम से काटकर दे दिया है। यहां पर रिसर्च के रास्ते खुल गए। वहीं मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं देने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान में आज दो सीटी स्कैन, 2 कैथलैब, 3 अल्ट्रासाउंड मशीन की सुविधा है। जो शायद पटना के एम्स में भी नहीं है। उन्होंने कहा कि रिसर्च लेक्चर का फायदा रिम्स को मिलेगा। 60 डॉक्टर इस लेक्चर में शामिल हो रहे थे।
प्राइवेट प्रैक्टिस पर कुछ नहीं कर पाया
उडायरेक्टर ने डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर कहा कि पहले भी रिम्स के डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। लेकिन वे लोग अपनी सीमा में रहकर करते थे। आज हमारे डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे है। जिसकी शिकायत लेकर मरीज हमारे पास आए। इस पर रोक लगाने के लिए मैं कुछ नहीं कर पाया। उम्मीद है कि आगे आने वाले लोग इसपर कुछ करेंगे। वहीं विधायक समरी लाल ने भी जीबी के दौरान डायरेक्टर के साथ नोक-झोंक की बातें कही। उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मेरा ये दायित्व है कि लोगों की समस्याओं को रखूं।
मंत्री ने डॉक्टर को बोलने से रोका
रिम्स की ओर से डॉक्टरों को डायरेक्टर के बारे में बोलने को आमंत्रित किया गया। इस दौरान माइक्रोबायोलॉजी के डॉ मनोज आए। उन्होंने कहा कि रिम्स में एक दो डायरेक्टरों को छोड़ किसी ने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रशासन में आने के बाद किसी ने भी हमारे फैक्ल्टी के बारे में कुछ नहीं किया। अभी जो डॉ डायरेक्टर बनने की होड़ में है उनका बी प्रोमोशन नहीं हो पाता। ये सभी जानते है कि उनका प्रोमोशन किन परिस्थितियों में हुआ। उन्होंने कहा कि ये बोलना जरूरी है। हमारे बारे में कहा जाता है कि प्राइवेट प्रैक्टिस करते है। मैं कहता हूं कि दिनभर रिम्स में रहता हूं। हरेक आदमी यहीं करता है। हमारे पॉजिटिव थिंग को आगे बढ़ाने की जरूरत है। 2005 में एक प्रोफेसर बनकर हमारे यहां आए और अभी तक एसोसिएटर प्रोफेसर है। ऐसे में वह गलत काम नहीं करेगा तो अच्छा काम करेगा। सरकार रिम्स में एक डायनेमिक आदमी को लाए। हम काम करना चाहते है। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें बीच में ही बोलने से रोक दिया।
ये रहे मंच पर मौजूद
स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अरुण कुमार सिंह, एडिशनल सेक्रेटरी आलोक त्रिवेदी, विधायक समरी लाल, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ हिरेंद्र कुमार बिरुआ, डीन डॉ विद्यापति