दीपावली में मिट्टी के कारीगरों के खूब चर्चे होते हैं। मिट्टी के दिए और खिलौनों का खूब प्रचार- प्रसार होता है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी अपनाएं। मगर यदा- कदा ही लोग उन कारीगरों की कला से वाकिफ होते हैं, जिसके बनाए मिठाइयों का दीपावली में बेहद महत्वपूर्ण होता है। चीनी से बने हाथी- घोड़े वाली मिठाइयों की। जो केवल दीपावली में ही देखने को मिलते हैं और इस पर्व में इसकी विशेष महत्ता होती है। मान्यता है कि चीनी से बने इन मिठाइयों का भोग लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
50 किलो चीनी की मिठाईयां बनाने में लगते पांच से छः घंटे
देशभर में इसके कारीगर अपने- अपने तरीके से दीपावली से पूर्व इसे बनाने में जुट जाते हैं। कारीगर दीपावली से पूर्व दिनरात चीनी की मिठाईयां तैयार करने में जुटे हैं। कारीगर जनकलाल बताते हैं कि 50 किलो चीनी की मिठाईयां बनाने में पांच से छः घंटे लगते हैं। आमदनी के सम्बंध में उन्होंने बताया कि लागत के बाद उन्हें ठीकठाक बचत हो जाती है। दो साल कोरोना त्रासदी के कारण आमद नहीं हुई इस साल बेहतर होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा निर्मित मिठाईयां बिहार, बंगाल और यूपी तक जाती थी, मगर कोरोना की वजह से महाजन टूट गए हैं। धीरे- धीरे लोकल मार्केट से शुरुआत किया जा रहा है।
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मां लक्ष्मी को भोग लगाने पर माता की कृपा बनी रहती है
वहीं महिला कारीगर बताती है कि लक्ष्मी पूजा में चीनी मिठाइयों की डिमांड बढ़ जाती है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी चीनी से बने हाथी- घोड़े के खिलौना नुमा मिठाइयां, बताशे और इलायची दाना से मां लक्ष्मी को भोग लगाने पर माता की कृपा बनी रहती है। यही वजह है कि लोग इन मिठाइयों की खरीदारी करते हैं। बहरहाल इस व्यवसाय पर आधुनिकता का रंग नहीं चढ़ा है। आज भी बाजार में इन मिठाइयों की डिमांड है। इस चीनी मिठाइयों पर चीन का कब्जा अबतक नहीं हो सका है।