झारखंड स्थित पारसनाथ धर्मस्थल को जैन धर्मावलंबियों के सुपुर्द किए जाने से आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है। वहीं आदिवासी सेंगल अभियान द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन कर आगे उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई। पारसनाथ धर्मस्थल को पर्यटन एवं इको टूरिज्म बनाए जाने के बाद पूरे देश भर के जैन समुदाय के लोग आंदोलन कर राज्य व केंद्र सरकार से इस फैसले को बदलने की मांग कर रहे थे। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पर्यटन एवं इको टूरिज्म के फैसले पर रोक लगा दी गई, पर अब आदिवासी समाज द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि राज्य की हेमंत सरकार ने संथाल समुदाय के लोगों का धर्मस्थल छीन कर जैन समुदाय के सुपुर्द कर दिया है।
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वर्षों से पारसनाथ पर्वत संथालो के मरांग बुरु है
आक्रोशित आदिवासी समाज के लोग आदिवासी सेंगल अभियान के बैनर तले जमशेदपुर के करंडीह चौक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया। वहीं जानकारी देते हुए आदिवासी सेंगल अभियान के केंद्र संयोजक विवो मुर्मू ने बताया कि वर्षों से पारसनाथ पर्वत संथालो के मरांग बुरु है और वर्षों से सरना रीति रिवाज से वहां पूजा पाठ किया जाता आ रहा है। जिसकी जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री को होने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री ने उस स्थान को जैन धर्मावलंबियों के तीर्थ स्थान में तब्दील कर दिया।
उन्होंने कहा कि आज पुतला दहन किया जा रहा है आगामी 17 जनवरी को झारखंड बंगाल उड़ीसा समेत विभिन्न राज्यों के जिला मुख्यालय में आदिवासी समाज द्वारा प्रदर्शन कर उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा उसके बाद भी अगर मांग पूरी नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।