झारखंड आंदोलनकारियों के अग्रणी नायकों में शुमार घाटशिला के पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा और जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो का दर्द छलक गया। शुक्रवार को दोनों नेताओं ने जमशेदपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य में मचे आदिवासी- कुड़मी संग्राम में कुड़मियों का समर्थन करने के कारण हो रहे विरोध पर नाराजगी जताते हुए जनता से अपना गुनाह जानना चाहा है। सूर्य सिंह बेसरा ने तो यहां तक कह डाला कि जिसने राज्य निर्माण किया आज राज्य की जनता उसी का पुतला दहन कर रही है। कुडमियों का समर्थन करने की वजह से उन्हें कार्यक्रमों में जाने से रोकने का फरमान जारी किया जा रहा है। आखिर क्या गुनाह किया है उन्होंने।
नेताओं का बॉडीगार्ड वापस ले लिया गया
बेसरा ने कहा राज्य सरकार ने साजिश के तहत उनका शैलेंद्र महतो और कृष्णा मार्डी सरीखे नेताओं का बॉडीगार्ड वापस ले लिया। वे जनता की समस्याओं को उठाते हैं जनता के बीच रहते हैं कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। उन्होंने कहा साजिश के तहत राज्य में कुड़मी-आदिवासियों को लड़ाया जा रहा है। कुड़मी जाति को 1932 में साजिश के तहत एसटी की सूची से हटा दिया गया है। यदि वे इसका समर्थन करते हैं तो उनका विरोध किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने 12 जातियों को एसटी की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की है, राज्य में 70 लाख कुड़मी हैं यदि उन्हें एसटी का दर्जा दे दिया जाता तो राज्य ट्राईबल स्टेट घोषित हो जाता। इसी सोच के साथ वे कुडमियों की मांग का समर्थन कर रहे हैं।
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वर्तमान सरकार का 3 साल बेकार चला गया
श्री बेसरा ने कहा खरसावां शहीद दिवस कार्यक्रम में उन्हें और जयराम महतो को आने से रोका जा रहा है। इसके पीछे सरकार की साजिश है। उन्होंने कहा वर्तमान सरकार का 3 साल बेकार चला गया। सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पेशा कानून लागू नहीं किया गया, फिफ्थ शेड्यूल के तहत गांव का विकास नहीं हो सका। सभी कानून अधर में लटके हुए हैं। राज्य का विकास रुक गया है। चाहे भाजपा हो या जेएमएम दोनों ने राज्य को गर्त में पहुंचा दिया। ऐसे में अब समय आ गया है कि राज्य की जनता तीसरे विकल्प का चयन करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जनता कहेगी तो वे राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लेंगे।