झंझांरपुर लोकसभा सीट : बिहार की 40 लोकसभा सीट में से एक नाम झंझांरपुर का भी है । एक ऐसी लोकसभा सीट जो 1972 में मधुबनी से कटकर अस्तित्त्व में आई । जिसके बाद से 1972 से 2019 तक यहां कुल 13 चुनाव हुए । जिसमें कांग्रेस, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल(यूनाईटेड) और भारतीय जनता पार्टी सभी के उम्मीदवारों को यहां की जनता ने सांसद बनने का मौका दिया । लेकिन हैरान करने वाली एक बात और भी है कि जो भाजपा वर्तमान में केंद्र की सत्ता पर काबिज है उसकी पार्टी के अबतक एक उम्मीदवार ने इस सीट से जीत हासिल की है। ज्यादातर वो यहां सहयोगियों के भरोसे ही रही है।
कभी था कांग्रेस और CPI का गढ़, पिछले तीन बार से BJP का कब्ज़ा
1972 से 2019 तक झंझारपुर सीट पर हुए चुनाव के नतीजे
दरअसल 1972 में अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर उसी साल चुनाव हुए। पहले चुनाव में कांग्रेस के पंडित जग्गनाथ मिश्रा ने जीत हासिल की । लेकिन इमरजेंसी के दौर के बाद इस सीट की राजनीति ने ऐसी करवट बदली की 1977 के चुनाव में यहां से भारतीय लोक दल के उम्मीदवार धनिक लाल मंडल ने जीत दर्ज की । 1980 के चुनाव में भी धनिक लाल मंडल की ही हवा बरकरार रही, हालांकि ये अलग बात है कि इस बार वो जनता पार्टी(एस) के टिकट पर जीते थे ।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उठी सहानुभूति की लहर ने इस सीट पर फिर से कांग्रेस की वापसी कराई । 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जी.एस. राजहंस ने जीत हासिल की । इसके बाद के हुए 1989,1991 और 1996 के चुनावों में जनता दल के देवेन्द्र प्रसाद यादव में अपनी जीत को बरक़रार रखा । लेकिन 1998 के चुनाव में देनेंद्र प्रसाद यादव को राजद के प्रत्याशी सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने हरा दिया ।
बाद में देवेन्द्र प्रसाद यादव जनता दल को छोड़ राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हुए और फिर से 1999 और 2004 झंझारपुर सीट से ही सांसद चुने गए । 2009 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर तब NDA के सहयोगी दल जदयू के उम्मीदवार को जीत मिली।जदयू के मंगनी लाल मंडल ने जीत हासिल की । 2014 में यहां पहली बार भाजपा का पताका फहराया। JDU के NDA से अलग होने के कारण 2014 में त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। जिसमें भाजपा के वीरेंद्र चौधरी के लिए जीत की राह आसान हुई। 2019 के लोकसभा के चुनाव मेंNDA में रहते हुए ये सीट JDU के कोटे में गई और जदयू के रामप्रीत मंडल सांसद बने।
जातीय समीकरणों का प्रभाव
इस सीट को जातीय समीकरणों के दृष्टिकोण से देखने पर भी एक खास बात निकल कर सामने आती है। जहां पिछड़े और अतिपिछड़ी जातियों की जनसंख्या सबसे अधिक है। इसलिए यहां की राजनीति इन्ही दोनों जातियों के इर्द-गिर्द घुमती रही है। इस सीट के पहले सांसद पंडित जग्गनाथ मिश्रा को छोड़ दे तो सभी सांसद पिछड़ी और अतिपिछड़ी जाति के ही रहे।
झंझारपुर लोकसभा के अंतर्गत की विधानसभा सीट का हाल
अब बात झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा स्तिथि को लेकर भी कर लेते हैं। झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट है। वर्तमान में जिसमें से जदयू और भाजपा के पास 2-2 और कांग्रेस और राजद के पास एक-एक सीट है। खजौली से भाजपा के अरुण शंकर प्रसाद,बाबूबरही से जदयू की मीना कुमारी, राजनगर से कांग्रेस के विक्रम सिंह नातीराज, झांझरपुर से भाजपा के नीतीश मिश्रा, फुलपरास से जदयू की शीला कुमारी, लौकहा से राजद के भारत भूषण मंडल वर्तमान में विधायक हैं।
झंझारपुर लोकसभा सीट की वर्तमान स्थिति
बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में इस झंझारपुर सीट पर जदयू के उम्मीदवार रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की थी। लेकिन जदयू के NDA छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने का असर इस सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को जरुर मिलेगा। जातीय समीकरणों के आधार पर देखें तो राजद और जदयू के साथ होने से महागठबंधन को यहां मजबूती मिलेगी । क्योंकि ये पिछड़ा और अतिपिछड़ा बहुल सीट है । ये भी देखना खास अलगे चुनाव में भाजपा इस सीट पर चुनाव लड़ेगी या फिर अपने सहयोगी दल के भरोसे ही अपनी किस्मत आजमाएगी ।