[Team Insider] कैंसर का मतलब कोई फांसी की सजा नहीं। लेकिन जब आपको पता चलेगा कि आपको कैंसर है। तो आप रो भी नहीं सकेंगे। कैंसर के नाम से ही लोग घबरा जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं। जो इससे जूझते हुए भी लोगों में उम्मीद की किरण जगा रहे है। World Cancer Day के मौके पर ऐसे ही एक वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश से आपको रूबरू करवा रहे हैं। जो फोर्थ स्टेज के कैंसर से जूझ रहे हैं।बावजूद इसके लोगों को जागरूक कर रहे है। उन्होंने INSIDER LIVE से खास बातचीत में कैंसर की कहानी को बयां किया और अपने अनुभव को साझा किया।
कैंसर की बात खुलकर कर करे
वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश ने कहा कि कैंसर की बात खुलकर कर करनी जरूरी है। ताकि लोग जान सके। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष ही जनवरी महीने में उन्हें पता चला कि उन्हें लंग्स कैंसर है। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी ठीक थी। थोड़ी सी खांसी हुई थी।जब डॉक्टर से चेकअप कराया, तो पता चला की कैंसर है।उन्होंने कहा कि कैंसर का मतलब कोई फांसी की सजा नहीं।जब डॉक्टर ने यह कहा कि आपको कैंसर है और जब हॉस्पिटल से नीचे आया तो ऐसी स्थिति में ना रो सका और अपनी अभिव्यक्ति को संभाल कर रखना पड़ा।क्योंकि आप रो नहीं पाएंगे।
बस लगा अब जिंदगी अब खत्म होने वाली है …..
उन्होंने कहा कि रांची जैसे छोटे शहर में सभी लोग एक दूसरे को जानते है। ऐसे में मैं रो भी नही सकता था।क्योंकि लोग देखने लगते। उन्होंने कहा कि शुरू में समझ नहीं आया कि क्या करूं, जिंदगी अब खत्म होने वाली है। क्योंकि मुझे कैंसर हो गया है।उन्होंने कहा कि उन्हें एक कार्यक्रम के लिए जाना था। लेकिन वहां फोन करके मना कर दिया और नहीं आने की वजह बताई। जिसके बाद लोगों को जानकारी मिली कि वह बीमार पड़ गए है।
डरते हुए घर आया और अपनी पत्नी और बेटे को बताया..
उन्होंने कहा कि वह डरे सहमे हुए थे। लेकिन उसी दरमियान लगा कि घर के लोगों को यह बताना चाहिए और आगे का प्लान कैसे करना है। इसपर चर्चा करनी चाहिए। क्योंकि आप पर जो डिपेंडेंट है। आप के बाद उसका खर्चा कैसे चलेगा। बाकी लोग कैसे रहेंगे। बाकी जिंदगी कैसी रहेगी। इसको लेकर डर गया। उन्होंने बताया कि डरते हुए ही घर आया और अपनी पत्नी और बेटे को बताया। जिसके बाद इसका ट्रीटमेंट कैसे कराना है।इसको लेकर मानसिक तौर पर तैयार हुआ। उन्होंने कहा कि अगर इसे विपदा कहे तो इस विपदा से बाहर निकलने और लड़ाई लड़ने का मन बना लिया।
चौथा स्टेज अंतिम स्टेज माना जाता है
उन्होंने बताया कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर है और स्टेज 4 पर है। चौथा स्टेज अंतिम स्टेज माना जाता है।उन्होंने कहा कि जब जानकारी मिली थी कि कैंसर फैल चुका है। उसका ऑपरेशन ही होना है। वह क्योर नहीं होगा। तो सवाल यह आता है कि जब यह ठीक ही नहीं होगा तो ट्रीटमेंट किस चीज का कराएंगे और क्यों कराएंगे। कितना खर्चीला होगा कितना लंबा चलेगा। यह कैसे होगा। यह समस्या कैसे सुधरेगा। यह समस्या उनके सामने भी आई। वहीं अगर इस बीच किसी की डेथ हो जाती है। तो परिवार कैसे चलेगा। साथ ही ट्रीटमेंट कराना है। तो किस अस्पताल में कराना है। यह भी देखना होगा। यह समस्या भी सामने आई।फिर तय किया कि मुंबई में इलाज कराना है और वहां इलाज कराने चले गए।
1 साल से चल रहा है ट्रीटमेंट
उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सारी समस्याओं का निदान होता चला गया। जब कोई काम करना चाहते हैं। तो धीरे धीरे रास्ता खुलता जाता है और आप आगे बढ़ते चले जाते हैं। वही हो रहा है और मैं रास्ते में आगे बढ़ता जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि चौथे स्टेज पर होने के बावजूद 1 साल से ट्रीटमेंट चल रहा है। उन्होंने कहा कि जब डायग्नोस हुआ होगा। उसे पहले ही कैंसर मेरे शरीर में आ गया होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से नॉर्मल है और अपना काम कर रहे है। यह जानते हुए भी कि यह क्योर नहीं होगा। फिर भी लड़ाई लड़नी है और लड़ाई जारी है।
परिवार से मिला सपोर्ट
परिवार से सपोर्ट के मामले पर उन्होंने कहा कि डरना कभी नहीं चाहिए। क्योंकि जब जन्म हुआ है। तब आपको पता होता है कि आपकी मौत होनी है। क्योंकि जब बर्थ सर्टिफिकेट बनता है। उस दिन एक डेथ सर्टिफिकेट भी प्रकृति ने आपके लिए बना कर रखा होता है। उसमें सिर्फ डेट डालना होता है। जब आपकी लाइफ का एक न एक दिन अंत होना ही है। तो आपको और आपके परिवार को डरने की बजाय यह योजना बनानी चाहिए कि आगे का काम कैसे किया जाएगा। इलाज कैसे कराएंगे। उसके पैसे का इंतजाम कैसे होगा।
कौनस्लिंग बहुत जरूरी
बीमारी के दौरान जो परेशानियां आएंगी। उनसे कैसे निपटा जाए जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सबको पता नहीं है कि हमारी मौत कब होगी। अगर आप दुनिया मे किसी वजह से नहीं रहते हैं। तो आपका परिवार कैसे चलेगा। इसके लिए कौनस्लिंग बहुत जरूरी है। आपने देखा होगा कि कोरोना संक्रमण काल में कई सारे लोगों की अचानक मौत हो गई।यह प्रकृति का नियम है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि प्लान करके परिवार और अपनी काउंसिलिंग करनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि कॉन्सिलेर की जरूरत है। तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री राहत कोष से पैसे मिलने की जानकारी दी
उन्होंने कहा कि घबराइए मत बल्कि अपने मित्रों और परिवार के लोगों से सपोर्ट मिल सकता है। उन्होंने अभिनेत्री मनीषा कोइराला और नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बीपी कोइराला के कैंसर की बात को साझा किया।साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना की जानकारी दी। ताकि ऐसे गंभीर बीमारी के लिए लोग मदद ले सके। इसके अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष से भी पैसे मिलने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार से मदद लेनी चाहिए। अगर आपके पास पैसे नहीं है। मांगने में कोई हर्ज नहीं है।
“CAN ” मतलब ‘कर सकते है’
कई एनजीओ भी हैं, जो मदद के लिए आगे आते है।उन्होंने कहा कि जहां चाह है, वहां रहा है।उन्होंने अपने संदेश में कहा कि जब कैंसर लिखते हैं तो उसमें शुरुवात में CAN आता है। जिसका मतलब ‘कर सकते है’ होता है।इस लिए हर कुछ संभव है कैंसर से डरना नहीं चाहिए, कैंसर एक बीमारी है। इससे बीमारी की तरह लीजिए। उन्होंने कहा कि अगर पहले स्टेज में कैंसर का पता चल जाता है। तो उसका इलाज संभव है। अगर इलाज संभव है, तो उससे क्यों डरना। कैंसर से बिल्कुल नहीं डरना है। उसे डायग्नोज कराना जरूरी है। हृदय से मजबूत रहेंगे, तो सारे रास्ते अपने आप आपके लिए खुल जाएंगे।