[Team insider] झारखंड विधानसभा बजट सत्र 12 वें दिन सदन में विधायक प्रदीप यादव ने कस्तूरबा विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों मामला उठाया था, जिस पर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने विधानसभा में कहा है कि कस्तूरबा विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को शिक्षकों की पूर्णकालिक नियमित नियुक्ति में 25 प्रतिशत आरक्षण देगी। कहा कि कस्तूरबा विद्यालय बहुत अच्छा काम कर रहा है। नियमित नियुक्ति में रोस्टर का पालन करना होगा। सरकार इसकी समीक्षा करेगी और नियमानुसार काम करेगी। अभी कस्तूरबा विद्यालय के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की परेशानी को देखते हुए उनके मानदेय में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
विधायक प्रदीप यादव ने उठाया था मामला
विधायक प्रदीप यादव ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से सरकार से जानना चाहा था कि राज्य में एससी, एसटी, ओबीसी एवम अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए 1,35,500 छात्राएं 203 कस्तूरबा आवासीय विद्यालय एवम 57 झारखंड आवासीय विद्यालय में लगातार 16 वर्षों आए बेहतर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनका परिणाम भी अन्य विद्यालयों से अच्छा है, लेकिन इन विद्यालयों में काम कर रहे शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी आज भी अस्थायी रूप से ही सरकारी विद्यालयों आए काफी कम मानदेय पर काम कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से हरियाणा एवं अन्य राज्यों के तर्ज पर इन शिक्षकों को स्थायी करने की मांग की।
मैट्रिक-इंटर की परीक्षा के बाद होगा जैक बोर्ड का पुनर्गठन
झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) बोर्ड का पुनर्गठन मैट्रिक व इंटरमीडिएट परीक्षा के बाद किया जाएगा। विधायक जय प्रकाश भाई पटेल के पूछे सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने सदन में यह कहा है। प्रकाश भाई पटेल ने कहा है कि जैक में शैक्षणिक पदाधिकारी, वित्त पदाधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक पद स्वीकृत हैं, लेकिन फिलहाल खाली है।
इसपर मंत्री ने जवाब दिया है कि शैक्षणिक पदाधिकारी एवं वित्त पदाधिकारी के पद पर संविदा के आधार पर नियुक्ति की गई है जबकि परीक्षा नियंत्रक पद रिक्त है। जैक सचिव द्वारा रिपोर्ट किया गया है कि पूर्णकालिक नियुक्ति नहीं किए जाने से परिषद का कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है। परिषद अपना कार्य निष्पादित कर रहा है। जहां तक पूर्णकालिक नियुक्ति की बात है तो भविष्य में नियुक्त प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
हर साल 50 से 60 करोड़ रुपये तक का कारोबार
जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा है कि जैक में हर साल 50 से 60 करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है। अगर संविदा कर्मी पैसे लेकर भाग जाए तो क्या होगा। इन्होंने सरकार से मांग की है कि वित्त पदाधिकारी का अनुभव 10 साल और एमबीए होना चाहिए। संविदाकर्मियों की नियुक्ति में भी भारी गड़बड़ी है।