[Team Insider] पांच राज्यों में चुनाव होने हैं तो कर्मचारी संगठनों की पुरानी पेंशन योजना की मांग जोर पकड़ने लगी है। उत्तर प्रदेश में कुछ ज्यादा ही। अभी अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कहा ”सरकारी कर्मियों के लिए पूरानी पेंशन बहाली से संबंधित वादा मेरे संज्ञान में है एवं हमारी अीम इस पर काम कर रही है। सरकारी कर्मियों के सेवा निवृत्ति के बाद का भविष्य हम शेयर बाजार के भरोसे छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।”
2004 में पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया गया था
दरअसल एक समझौते के मद्देनजर अटल बिहारी वाजपयेगी की सरकार के समय 2004 में पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया गया। बड़ी वजह यह रही कि सरकारों की बजट का 75 प्रतिशत तक पैसा वेतन, पेंशन और ब्याज मद में चला जाता था। विकास योजनाओं के लिए पैसे का टोटा हो जाता था। बदले में राष्ट्रीय पेंशन स्कीम लागू की गई। पुरानी पेंशन योजना में अंतिम वेतन का पचास प्रतिशत पेंशन बनता और नियमित महंगाई भत्ते-पेंशन राहत में वृद्धि। उम्र 80 साल से अधिक हुई तो पेंशन राशि में नियमित अंतराल पर वृदि्ध भी।
पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की उठती रही है मांग
सौ साल पूरा होने पर पेंशन राशि दो गुनी हो जाती है। राष्ट्रीय पेंशन योजना में कर्मचारी और सरकार के अंशदान के आधार पर व्यवस्था है। जो पुरानी पेंशन योजना से पूरी तरह अलाभकारी है। इसलिए पूरे देश में कर्मचारी संगठन लगातार पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग करते रहे हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इन दिनों वैसे फैसलों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं जो वोट को प्रभावित करते हों। और पुरानी पेंशन योजना के पीछे भी कुछ ऐसा ही है। जब से पुरानी पेंशन योजना बंद हुई 17-18 साल हो गये। इस अवधि में बड़ी संख्या में सरकारी पदों पर लोगों की नियुक्ति हुई जो पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित हैं।
मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं बोल सकता: रामेश्वर उरांव
पुरानी पेंशन योजना का लाभ अगर सरकार देती है कि असर राज्य के खजाने पर पड़ेगा। मगर मुख्यमंत्री की घोषणा है तो वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को सीधे तौर पर कहने में बन नहीं रहा। मगर उनकी चिंता प्रदेश को लेकर भी है। पुरानी पेंशन योजना पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के स्टैंड पर रामेश्वर उरांव कहते हैं कि मुख्यमंत्री के वादे पर कोई कमेंट नहीं करेंगे। मैं उनके खिलाफ नहीं बोल सकता। सरकार में होने का अपना अनुशासन है। मगर इसके लिए वित्तीय स्थिति को आकलन तो करना ही होगा और मेरी व्यक्तिगत राय है कि बजट इसकी अनुमति नहीं देता। आज भले उतना असर न पड़े आने वाली सरकारों पर असर पड़ेगा।
सातवां वेतन मिलने के बाद वेतन और पेंशन राशि में हुई काफी वृदि्ध
सातवां वेतन लोगों को मिलने के बाद वेतन और पेंशन राशि में काफी वृदि्ध हुई है। हेल्थ अवेयरनेस के कारण लोगों की औसत उम्र भी बहुत बढ़ी है। जितना लोग वेतन में पैसा नहीं ले पाये पेंशन में ले रहे हैं, लेंगे। अपनी बात पर जोर देने के लिए उन्हें संयुक्त बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे याद आ गये। कहा दुबे जी मुझे नाम लेकर ही पुकारते थे। जब मैं सीनियर एसपी था, बिंदुश्वरी दुबे मुख्यमंत्री थे।
राज्य की बेहतरी के लिए मंथन करना होगा
बजट पास कराने के बाद सीएम आवास हमलोग गये। चाय पीते पीते बिंदेश्वरी दुबे बोले रामेश्वर बाबू बजट का 76 प्रतिशत पैसा तो वेतन और पेंशन में चला जाता है। विकास योजनाओं के लिए सिर्फ 24 प्रतिशत बच जाता है, ऐसे में बिहार का क्या काया कल्प होगा। अगर राज्य की बेहतरी के बारे में सोचना है तो इस पर भी मंथन करना होगा। और किस प्रदेश ने पुरानी पेंशन योजना को लागू किया है, यह भी देख लीजिए।