[Team insider] हजारीबाग जिले के दारू वन प्रक्षेत्र के सिवाने नदी के जंगल में भीषण आग लग जाने के कारण सैकड़ों पेड़ जलकर राख हो गया। वही यह भी आशंका जातायी जा रही है कि गर्मी आते ही लोग महुआ चुनने के चक्कर में झाड़ियों में आग लगा देते हैं, जिसके बाद यही आग विकराल रुप ले लेता है। इससे कई जीव जंतुओं के साथ अन्य महत्वपूर्ण पेड़ पौधे आग के चपेट में आ जाते हैं।
महुआ बिनने के लिए ही हरियाली को भी लगाया जा रहा है दांव में
वहीं टाटीझरिया प्रखंड क्षेत्र के कई जंगलों में इनदिनों आग लगी हुई है। वन विभाग की लापरवाही और अनदेखी से जंगलों का यही हाल है। वनोपजों और खाद्य के लिए जंगलों को भारी नुकसान लगातार पहुंचाया जा रहा है। कभी लकड़ियों के लिए वनों के हरे-भरे पेड़ों की बलि दी जा रही है तो कभी वनोपज महुआ के लिए जंगलों को आग के हवाले कर दिया जा रहा है। महुआ पत्तों में दब जाते हैं। इसलिए ग्रामीण पत्तों को हटाने की मशक्कत करने के बजाए आग के जरिए ही पत्तों को साफ करते हैं। पत्ता जलाकर महुआ बिनने के लिए ही हरियाली को भी दांव में लगाया जा रहा है।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद् नीतिश प्रियदर्शी
वही रांची यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट नीतिश प्रियदर्शी ने बताया कि झारखंड के जंगलों में अक्सर आग गर्मी के दिनों में महुआ चुनने वालों द्वारा लगा दिया जाता है या लोग खेल खेल में ही आग लगा देते हैं। जिसके कारण जंगलों में आग लग जाता है। वहीं यह भयावह रूप ले लेता है जिसके कारण सैकड़ों की संख्या में पेड़ और जीव जंतु जलकर राख हो जाते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि झारखंड के जंगलों में गर्मी के वजह से अब तक आग नहीं लगी है। हालांकि अफ्रीकी देशों में गर्मी के वजह से आग लगती है लेकिन झारखंड में ऐसा अब तक नहीं हुआ है।