[Team insider] हीरे का नाम आते ही आंखों में चमक सी आ जाती है। वहीं जिनके पास हीरा होता है या जिनको हीरा मिलने की संभावना होती है तो वह मन में उत्सुक्ता बनी रहती है। कई बार हीरा और गड़ा हुआ धन मिलने की कहानियां सुनते हैं। सोना, चांदी और रत्न आखिर कहां से आते हैं। वह धरती से ही आते हैं। कई जगह हीरे के माइंस हैं। डायमंड के पूरे वर्ल्ड में सबसे पुराने माइंस पन्ना का था जो गोलकुंडा का था। लेकिन झारखंड में भी हीरे मिलने का वर्णन कई लेखकों द्वारा उल्लेखित है। भारत का पूर्वी राज्य है झारखंड और झारखंड के पास है रांची का क्षेत्र है, जहां की हीरा मिलने की ऐतिहासिक तथ्य रहा है। यहां हीरा मिलता था और यहां के लोक संगीत में भी इसका चर्चा है।
इतिहास में हीरे मिलने की है सूचना
इस पर जियोलॉजिस्ट नीतीश प्रियदर्शी ने बताय कि अफ्रीकन कंपनी डी-बीएर्स के साथ सर्वे करने मौका मिला, जहां शंख नदियों का भौगोलिक सर्वे किया किया, तो पाया था कि यहां इंडिकेटर मिनरल्स है और वहां गार्नेल पाया गया है। वहीं इतिहास में हीरे मिलने का सूचना है। खास करके शंख नदी, कोयल नदी में हीरे प्राप्त होने की सूचना थी। पहले ही यहां के नागवंशी राजा दुर्जनसाल को हीरे की पहचान थी, उनके मुकुट में उस वक्त हीरा लगा रहता था।
झारखंड में पहले भी हीरे मिलते थे
कई राइटर्स और पूर्व फॉरेन छात्र विदेशों से आते थे। भारत में हीरे मिलने की सूचना दी थी और हीरे निकालने के काम पर लोग रहते थे। झारखंड में पहले भी हीरे मिलते थे। अब तो आज भी कई लोग नदियों में बालू छानते रहते हैं, इसलिए कि हीरे मिलेंगे। क्योंकि यहां नदियों में प्लेसर डिपॉजिट कर यानि पानी छान कर हीरे निकालते हैं।
झारखंड में हीरे कहां कहां मिलते हैं
खनिज के दृष्टिकोण से भारत का सबसे समृद्ध प्रदेश झारखंड है। जहां विविध प्रकार के खनिज ऊर्जा स्रोत पास उपलब्ध है। यहां का छोटानागपुर पठार जिसकी राजधानी रांची है, ना केवल झारखंड का खनिज संपदा ऊर्जा भंडार है। अपितु भारत का सबसे अधिक खनिज संपदा क्षेत्र छोटानागपुर का पठार है। पृथ्वी के प्राचीनतम चट्टानों से निर्मित है, जिसका निर्माण आर्कियन युग से लेकर तृतीय कल्प तक कई चरणों में हुआ। फलस्वरुप इसकी भौगोलिक संरचना के कारण पृथ्वी से प्राप्त होने वाले रत्नों में हीरे का स्थान संभव है। यह रत्न अपनी कठोरता दुर्लभता एवं वर्ण विलासिता आदि गुणों के कारण अत्यंत मूल्यवान है।
झारखंड में हीरो के खानों का है उल्लेख
संभवत भारत में पहला हीरा ईसा के जन्म से 800 वर्ष पूर्व प्राप्त किया गया था। 16वीं सदी के फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में इस इलाके में हीरे की खान होने की चर्चा की है। टेवर्नियर फ्रांसीसी जोहरी थे जो हीरे की तलाश में सोलवीं सदी में कई बार भारत आए। उन्होंने विस्तार से छोटा नागपुर के हीरो के खानों का वर्णन किया है। उनके अनुसार उत्तरी कोयल नदी के किनारे एक प्राचीन नगर हुआ करता था जिसका नाम सीमा, सेमूल या सेमूलपुर था। यहां पर हीरे की खानें थी। अभी तक यहां पर हीरो का स्रोत चट्टानों की पता नहीं चल पाया है। इसके बाद कई लेखकों ने झारखंड में हीरो के खानों का का उल्लेख किया है।
अकबर और जहांगीर के काल में हीरों के लिए प्रसिद्ध था
जॉन डॉल्टन ने 1949 में अपने लेख में कहा है कि अकबर एवं जहांगीर के काल में छोटा नागपुर हीरो के लिए प्रसिद्ध था। इससे प्रेरित होकर मुगलों की सेना ने इस प्रांत में चढ़ाई की थी। जहांगीर के शासनकाल में आगमन से नागवंशी राजा दुर्जन साल छोटानागपुर में सत्ता में आए थे। उन्होंने सम्राट अकबर को किराए का भुगतान करने से इनकार किया था। जिसके बाद खोखरा पर हमला करने के लिए यहां के राज्यपाल इब्राहिम खान आदेश दिया। इस आक्रमण का विवरण तुजुक ए जहांगीरी में जहांगीर के संस्करण में उल्लेख मिलता है। आक्रमण के पीछे एक और कारण था। इस क्षेत्र में शंख नदी के बिस्तर में यानी उसके सेगमेंट्री बेड्स में में पाए जाने वाला हीरा की अत्यधिक मात्रा में उपलब्धता।
राज दुर्जन साल को हीरा राजा के नाम से जाना जाता था
हीरे की एक विशेषज्ञ के होने की वजह से राज दुर्जन साल को हीरा राजा के नाम से जाना जाता था। इस प्रकार छोटानागपुर के राजा को वश में करने और मूल्यवान हीरे को प्राप्त करने के लिए जहांगीर ने छोटानागपुर पर आक्रमण करने का फैसला किया। बादशाह के आदेश से इब्राहिम खान ने 1615 ईसवी में खोखरा के खिलाफ मार्च किया और अपने गुप्तचरों की मदद से आसानी से नागवंशी प्रदेशों में प्रवेश करता गया। राजा दुर्जन साल के राज्य में जितने भी हीरे थे। इब्राहिम खान द्वारा कब्जा कर लिया गया।
महाराजा के पास उस वक्त काफी महंगा हीरा था
कर्नल डाल्टन के अनुसार राजा दुर्जन साल को के कारावास 12 साल तक चला, जिस हीरे के चलते दुर्जन साल की गिरफ्तारी हुई उसी हीरे की वजह से उनकी रिहाई भी हुई। डाल्टन के अनुसार छोटानागपुर के महाराजा के पास उस वक्त काफी महंगा हीरा था। छोटानागपुर के राजा डेरा जो रांची पठार में है नामक स्थान पर शंख नदी पर हीरा दाग नामक झरना है, जहां पर हीरों के प्राप्त होने की सूचना है। सूचना थी हीरा दाग का अर्थ होता है हीरो का स्थान।
नदी बांध कर हीरों की करते थे तलाश
टेवर्नियर ने इस बात का उल्लेख किया है कि उत्तरी कोयल नदी में उस वक्त 8000 लोग हीरो को निकालने में लगे थे। वह लोग उस वक्त नदी बांध कर हीरों की तलाश करते थे। वह बालू को छानकर हीरो को निकालते थे। छोटा नागपुर में ज्यादातर हीरा शंख तथा कोयल नदी में मिलते थे।
गांव वालों के सहयोग से हीरो की तलाश शुरू की जाए
हमने भी अफ्रीकन की कंपनी डी बेयर के साथ गुमला के आगे शंख नदी वैज्ञानिक सर्वे किया था, जहां से कई उत्साहवर्धक प्रमाण मिले थे। मैंने थे कुछ वर्ष पहले तक गुमला तथा गारु से लोग हीरो की जानकारी लेने आते थे। अगर आज भी इन जगहों पर विस्तार से भूवैज्ञानिक सर्वे किया जाए, कुछ परिणाम मिल सकते हैं। पुराने लेखों पर विश्वास किया जाए तो सरकार को चाहिए कि एक बार फिर गांव वालों के सहयोग से हीरो की तलाश शुरू की जाए। क्योंकि आज भी शंख नदी में हीरो के भग्नावशेष परिलक्षित होती है। कभी इन खदानों में हीरो की प्रचुर मात्रा में थी, किंतु खनन की गतिविधियां 1890 से रुक गई सी प्रतीत होती है। हीरो के खदानों मिली भग्नावशेष लगता है कि हीरे मुख्यता नदी के बालू से प्राप्त होते थे।