[Team insider] राजधानी रांची समेत राज्य के कई जिलों में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। राजधानी से सटे बुंडू, तमाड़, खूंटी सहित कई नक्सल प्रभावित जिलों में अफीम की खेती की जाती है। लेकिन प्रशासन द्वारा समय-समय पर अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान बड़े पैमाने पर चलाया जाता है, फिर भी अफीम उगाने वाले तस्कर हजारों एकड़ में अफीम उगाने में कामयाब रहते हैं। जिसका मुख्य कारण नक्सल प्रभावित जगहों पर प्रशासन की पहुंच बहुत कम होती है।
अपराधी गिरोह और नक्सली कर रहे करोड़ों की कमाई
वहीं अफीम की खेती में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में किसान भी इस अवैध धंधे से जुड़ने से परहेज नहीं करते हैं। वहीं कई ऐसे भी किसान हैं जो मजबूरी में अफीम के खेती करते हैं। किसानों की मज़बूरी का फायदा उठाकर अपराधी गिरोह और नक्सली करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। पिछले दिनों कई बड़े अफीम तस्करों की गिरफ्तारी हुई है जिसमें यह बात सामने निकल कर आया है कि झारखंड के अफीम नेपाल सहित कई दूसरे देशों में भी भेजी जाती है।
किस साल कितनी एकड़ में नष्ट की गई अफीम
साल 2021 में लगभग 3000 एकड़, 2020 में 2634.7 एकड़, साल 2019 में 2015.4 एकड़, साल 2018 में 2160.5 एकड़, 2017 में 2676.5 एकड़, 2016 में 259.19 एकड़, 2015 में 516.69 एकड़, 2014 में 81.26 एकड़, 2013 में 247.53 एकड़, 2012 में 66.6 एकड़ और 2011 में 26.85 एकड़ जमीन से अफीम नष्ट करने की कार्रवाई की गई है।
इसी क्रम में झारखंड-बिहार की सीमा पर चतरा जिले के स्थित राजपुर थाना क्षेत्र के जंगली और पहाड़ी इलाकों में सक्रिय अफीम तस्करों को नेस्तनाबूद कर नक्सलियों का आर्थिक कमर तोड़ने को लेकर जिला प्रशासन ने तीन दिनों के भीतर करीब दो सौ एकड़ में फैले अफीम की खेती को नष्ट किया। गड़िया, अमकुदर, पथेल, धवैया व बेंगो समेत जंगली इलाकों नक्सल गढ़ माने जाते हैं।
पोस्ता की खेती नहीं करने की खिलाई कसम
ऐसे में डीसी अंजलि यादव व एसपी राकेश रंजन भी सीआरपीएफ कमांडेंट व डीएफओ समेत अधिकारियों व जवानों के साथ अभियान का मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सड़क व अन्य मूलभूत सुविधाओं से महरूम नक्सल गढ़ में पहली बार बाईक से पहुंचे डीसी, एसपी, कमांडेंट व डीएफओ अधिकारियों संग पहुंच अभियान की समीक्षा की। साथ ही विकास से महरूम गांवों को सरकारी योजनाओं से जोड़ते हुए जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की बात कही। साथ ही विकास योजनाओं से जुड़ने के बजाय अफीम उत्पादन को प्राथमिकता देने वाले ग्रामीणों को गैर-कानूनी कार्यों को तौबा कर पोस्ता की खेती नहीं करने की कसम खिलाई।
इन गांवों में विकास किरण जरूर पहुंचेगी
डीसी अंजली यादव ने कहां की विकास से कोसों दूर जंगली पहाड़ों से इन गांवों में विकास किरण जरूर पहुंचेगी। यहां जरूरी उपयोगी योजनाओं का चयन कर योजनाबद्ध तरीके से इन गांवों का विकास किया जाएगा। पोस्ता की खेती समेत अन्य गैरकानूनी कार्यो से जुड़े ग्रामीणों में जागरूकता के साथ-साथ विकास की उम्मीद जगाई जा सके। उन्होंने कहा कि अफीम विनष्टीकरण का अभियान निरंतर जारी रहेगा। जब तक अफीम पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता तब तक अधिकारी व जवान कैम्प करते रहेंगे।
गैरकानूनी कार्यो से जुड़े लोगों के लिए कहीं जगह नहीं
वहीं एसपी ने कहा कि जिले में गैरकानूनी कार्यो से जुड़े लोगों के लिए कहीं जगह नहीं है। जागरूकता के अभाव में प्रलोभन का शिकार होकर अफीम तस्करों के बहकावे में मासूम ग्रामीण अफीम की खेती से जुड़ गए थे। जिससे इस इलाके की ना सिर्फ छवि धूमिल हुई है, बल्कि अफीम जोन के रूप में भी प्रसिद्ध हो गया था। वहीं अधिकारियों ने कहा कि इन इलाकों में अब निरंतर अधिकारियों का आवागमन होगा। ताकि यहां संचालित होने वाले विकास योजनाओं को शत-प्रतिशत धरातल पर उतारा जा सके।
बिहार राज्य के गया जिले के से सटा है बाराचट्टी
बता दें कि राजपुर थाना क्षेत्र का गडिया, अमकुदर, पथेल व धवैया समेत इससे सटे अन्य गांव को सबसे सुदूरवर्ती और नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में जाना जाता है। जो बिहार राज्य के गया जिले के बाराचट्टी से सटा है। इस लिहाज से यहां पुलिस व प्रशासन की गतिविधि सुरक्षा कारणों से ना के बराबर होती थी। जिसके कारण यह ईलाका नक्सलियों का सेफ जोन बन गया था और यहां शासन के बजाय नक्सलियों की ही हुकूमत अबतक चलती आ रही थी।
नक्सली अपना आर्थिक उपार्जन के लिए करवाते हैं अफीम की खेती
बाराचट्टी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इस परिस्थिति में गडिया अमकुदर में नक्सलियों की आवाजाही हमेशा बनी रहती है। नक्सली अपना आर्थिक उपार्जन के लिए गडिया अमकुदर में अफीम की खेती करवाते हैं। यहां उत्पन्न परिस्थितियों का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि गांव के पगडंडियों के दोनों और सिर्फ और सिर्फ अफीम की फसल लहलहा रहे है। लेकिन एक सप्ताह से जारी अफीम विनिष्टिकरण अभियान ने नक्सलियों के आर्थिक स्रोत की कमर को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया है।