[Team insider] राज्य में लगातार भाषा को लेकर विवाद चल रहा है। भोजपुरी, मैथिली और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने को मांग को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं चार घोटाले मामले की अंतिम सुनवाई को लेकर रांची पहुंचे लालू यादव ने भाषा विवाद को लेकर दिए बयान के बाद राजनीति यहां की और गरमा गई है।
भोजपुरिया समुदाय किसी से डरता नहीं हैं
वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने भी भोजपुरी, मैथिली और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से विरोध जाताया है, जिसके बाद लालू प्रसाद यादव (lalu yadav) ने कहा है ‘जो भोजपुरी का विरोध करेगा हम उसका विरोध करेंगे।‘ उनके बात में दम नहीं है। ये गलत काम है। उन्होंने कहा कि जो लोग झारखंड में भाषा का विरोध कर रहे हैं वो झारखंड को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘भोजपुरिया समुदाय किसी से डरता नहीं हैं।‘ ये लोग बांट रहा है तो बांट लो।
क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता, ना की बाहरी भाषाओं को
गौरतलब है कि झारखंड में भोजपुरी, मगही और अंगिका को प्राथमिकता दिए जाने का विरोध झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कर रहे हैं। जगरनाथ महतो का कहना है कि झारखंड में क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए, ना की बाहरी भाषाओं को। मंत्री जगरनाथ महतो के इस विरोध के बाद राज्य में एक बार फिर बाहरी भीतरी का विवाद खड़ा हो गया है।
क्यों हो रहा विरोध
राज्य सरकार ने जिला स्तर पर तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में स्थानीय भाषा की अलग-अलग सूची जारी की। इस सूची में झारखंड की 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा को शामिल किया गया। इसके साथ ही मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और मगही को धनबाद, बोकारो, रांची सहित विभिन्न जिलों में शामिल किया गया। इसको लेकर कई आदिवासी संगठन विरोध में आ गए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे सरकारी नौकरियों में बाहरी लोगों को लाभ मिल जाएगा। वहीं राज्य के स्थानीय युवाओं का हक छीन जाएगा।