[Team insider] राजनीतिक जोर दबाव के खेल के बीच मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पेंशन के हवाले सामाजिक सुरक्षा को पुख्ता करने में लगे हैं। या कहें जनजातीय और स्थानीय को मोहने के बाद सरकारी सेवकों को पुरानी पेंशन देकर लुभाने में जुटे हैं। वोट बैंक पुख्ता करने में जुटे हैं। हालांकि पुरानी पेंशन और खजाने पर पड़ने वाले दबाव को देखते हुए पहले हां फिर ना के बाद पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं।
मौजूदा राजनीतिक परेशानी के बीच मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को पुरानी पेंशन योजना के लिए प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। वित्त विभाग प्रस्ताव तैयार करने में जुट गया है। जल्द ही विधिक परामर्श के बाद कैबिनेट से इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की जा सकती है।
चुनाव घोषणा पत्र में किया था वादा
पुरानी पेंशन योजना की सरकारी सेवकों की मांग को देखते हुए झामुमो ने 2019 के विधानसभा चुनाव के अपने चुनाव घोषणा पत्र में इसका एलान किया था। सरकार के दो साल होने के मौके पर 29 दिसंबर को अपने संबोधन में भी मुख्यमंत्री ने कहा था कि ”सरकारी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली से संबंधित वादा भी मेरे संज्ञान में हैं एवं हमारी टीम इस पर काम कर रही है। सरकारी कर्मियों के रिटायर करने के बाद का भविय हम शेयर बाजार के भरोसे नहीं छोड़ सकते।”
विधानसभा में पहले ना फिर हां
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उम्मीद थी कि वे बजट में पुरानी पेंशन योजना के लिए प्रावधान करते हुए इसकी घोषणा कर सकते हैं। मगर विधानसभा में इससे संबंधित प्रदीप यादव के सवाल पर इसी एक मार्च को मुख्यमंत्री ने यह कहकर लोगों को निराश किया कि पुरानी पेंशन लागू करने का प्रस्ताव तैयार नहीं है। इस कारण यह प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। वहीं सत्र के अंतिम दिन यह भी एलान किया कि राज्य के सरकारी सेवकों के लिए अंशदायी पेंशन योजना समाप्त कर बहुत जल्द पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे।
सवा लाख कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
बता दें कि प्रदेश में निजी कंपनियों की तरह दिसंबर 2004 से अंशदायी पेंशन योजना लागू है। इसके तहत अवकाश ग्रहण करने वालों को पुरानी पेंशन योजना के लाभुकों की भांति महंगाई राहत जो हर छह माह पर मिलता है देने का प्रावधान नहीं है। वर्तमान में करीब दो लाख सरकारी सेवक हैं जिनमें महज 75 हजार पुरानी पेंशन योजना के दायरे में हैं जबकि सवा लाख जो 2004 के बाद नियुक्त हुए अंशदायी पेंशन योजना के दायरे में हैं। पुरानी पेंशन योजना लागू होने पर सवा लाख परिवार इससे लाभान्वित होंगे।
दो गुना से अधिक हो चुके सर्वजन पेंशन वाले
यह भी कहा था कि ”हम सभी जरूरत मंदों को पेंशन देने की सर्वजन पेंशन योजना को लागू कर पाये हैं। हर जाति, हर धर्म, हर वर्ग के लोग गरीब हैं। हर वर्ग की विधवा मदद की हकदार हैं। आज जब पेंशन के लाखों आवेदन आ रहे हैं तो लगता है कि किसी ने इस समस्या का हल ढूंढने का प्रयास क्यों नहीं किया। अनुत्तरित रह जाना ही इनकी नियति बन गई है। क्या विधवा पेंशन के लिए 40 वर्ष की बाध्यता जायज थी। क्या दिव्यांग जनों के लिए पेंशन के लिए 18 साल ही सीमा सही थी। और इन सब के ऊपर पेंशन प्राप्त करने के लिए लंबी कतार।”
पेंशन का लाभ पाने वालों की दो गुना से अधिक हो गई
हेमन्त सोरेन के इसी नजरिये और नियमों में किये गये बदलाव का नतीजा है कि इनके शासन के दौरान पेंशन का लाभ पाने वालों की दो गुना से अधिक हो गई। दो साल पहले राज्य पेंशन योजना के लाभुकों की संख्या 6 लाख 60 हजार 871 थी जो अब बढ़कर 14 लाख 34 हजार 314 हो गई है। इसमें मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन, स्वामी विवेकानंद नि:शक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री राज्य निराश्रित महिला सम्मान पेंशन योजना, मुख्यमंत्री राज्य आदिम जनजाति पेंशन योजना, एचआईवी और एड्स पीड़ित व्यक्ति के सहायतार्थ पेंशन योजना आदि के तहत लोग लाभ उठा रहे हैं। जाहिर है पेंशन की राशि सीमित हो मगर सरकार के अनुग्रह से एहसानमंद तो जरूर होंगे।