[Team insider] मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से व्यक्तिगत विवादों को लेकर चर्चा में रहने वाले गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ताजा ट्वीट ने नयी हवा बहा दी है। मौसम की गरमाहट से ज्यादा हेमन्त इन दिनों चुनाव आयोग के हीट वेव से आहत हैं। हेमन्त सोरेन द्वारा खुद के नाम माइनिंग लीज लेने को लेकर चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से पूछताछ कर रखी है। इसमें आयोग का नकारात्मक फैसला हेमन्त सोरेन का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। विधानसभा की सदस्यता के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। बदली हुई परिस्थिति में राजनीतिक हलकों में यह सवाल तेजी से तैर रहा है कि क्या हेमन्त सोरेन भाजपा की मेहरबानी के उपाय में लग गये हैं।
हेमन्त के सहयोगियों के साथ ठीक-ठाक नहीं चल रही
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ट्वीट से भी कुछ इसी तरह का संदेश पसर रहा है। निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीटर हैंडल से लिखा है कि ”मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी भाजपा की शरण में? बुरे काम का बुरा नतीजा, यानी जैसी करनी वैसी भरनी।” अब ये तो खुद दुबे ही बता सकते हैं कि वे हेमन्त सोरेन का खेल बिगाड़ना चाहते हैं या ट्वीट का मकसद कुछ और है। दरअसल इन दिनों हेमन्त की उनके सहयोगियों के साथ ठीक-ठाक नहीं चल रही। भाषा विवाद पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद एतराज जता चुके हैं। वहीं बड़ी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते सहज नहीं लग रहे।
कांग्रेस प्रभारी अपना असंतोष जाहिर कर चुके हैं
कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय ने प्रदेश का प्रभार संभालने के बाद से ही हेमन्त सोरेन को मोजर नहीं डाला। यही रवैया हेमन्त सोरेन की ओर से भी रहा। रांची के अपने पांचवें दौरे में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिले। वह भी कॉमन मीनिमन प्रोग्राम पर पार्टी जनों की भावना से अवगत कराने। डेढ़ माह से अधिक हो गये मगर हेमन्त सोरेन की ओर से इस पर कोई पहल नहीं की गई। कांग्रेस प्रभारी इसको लेकर अपना असंतोष जाहिर कर चुके हैं।
अविनाश पांडेय के झारखंड का प्रभारी बनने के तत्काल बाद ही कांग्रेस आलाकमान से सरकार के साथ समन्वय के लिए पार्टी के 17 वरिष्ठ सदस्यों की को आर्डिनेशन कमेटी की घोषणा की थी। यह कमेटी भी एकतरफा रह गई। आज तक झामुमो की ओर से किसी कमेटी की घोषणा नहीं की गई है। इस तरह हेमन्त सोरेन भी कांग्रेस को उसकी औकात दिखाते रहे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के पहले राजेश ठाकुर की भाषा भी को आर्डिनेशन कमेटी और कॉमन मीनिमन प्रोग्राम को लेकर तल्ख रहता था। हालांकि इस प्रकरण पर झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य की दलील है कि सब ठीक है। चुनाव से पहले से कांग्रेस के साथ गठबंधन है और फैसले आपसी तालमेल से हो रहे हैं।
राज्यपाल रमेश बैस 27 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे
उत्तर प्रदेश चुनाव समाप्त होने और वहां विजय पताका लहराने के बाद भाजपा का फोकस झारखंड पर बढ़ गया है। हालांकि भाजपा के नेता पहले से ही बोलते रहे हैं कि हेमन्त सरकार आपसी विवाद में ही अपदस्थ होने वाली है। कुछ माह पूर्व माइनिंग लीज विवाद को लेकर यह चर्चा शुरू है कि 22 साल की उम्र में अनेक राष्ट्रपति शासन को देख चुके झारखंड का रास्ता फिर उसी ओर जा रहा है या हेमन्त भाजपा की शरण में जा रहे हैं। दरअसल माइनिंग लीज को लेकर जारी विवाद के बीच झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस 27 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह से मिलने वाले हैं।
माना जा रहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था के साथ हेमन्त के लीज प्रकरण पर भी बात हो सकती है। खबर है कि मौजूदा संकट और अमित शाह से होने वाली मुलाकात को देखते हुए हेमन्त सोरेन दिल्ली में अपना कील-कांटा ठीक करने में जुट गये हैं। किसी समय उनकी दिल्ली यात्रा संभावित है।
रघुवर दास ने माइनिंग लीज को लेकर राज्यपाल से की थी शिकायत
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा अपने नाम पर रांची के अनगड़ा में माइनिंग लीज लेने के खिलाफ राज्यपाल से शिकायत की थी। जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कोई विधायक सांसद लाभ के पद पर नहीं रह सकता। ऐसा होने पर उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है। माइनिंग लीज पर लाभ का पद लागू होता है या नहीं पक्ष विपक्ष के लोग कानूनी परामर्श ले रहे हैं। रघुवर दास की शिकायत को राज्यपाल रमेश बैस ने चुनाव आयोग को भेज दिया था। इस बीच राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव को बुलाकर उनसे इस मसले पर बात की थी।
राज्यपाल के पत्र के बाद चुनाव आयोग ने इस संबंध में मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब किया था। मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने आयोग के पत्र के आलोक में खान सचिव पूजा सिंघल ने लीज के तथ्य के बारे में 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। जानकार बताते हैं कि इस खदान के प्रति हेमन्त सोरेन का पहले से मोह रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान अपने घोषणा पत्र में भी उन्होंने इसकी चर्चा करते हुए लिखा था कि इसका नवीकरण प्रक्रिया में है।
इधर हेमन्त सोरेन, उनके भाई बसंत सोरे की आय से अधिक संपत्ति मामले में हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनी और ईडी को नोटिस जारी कर हेमन्त सोरेन की परेशानी और बढ़ा दी है।