[Team insider] झारखण्ड विधानसभा में पारित झारखण्ड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक, 2022 को लागू किये जाने पर आपत्ति जताते हुए फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज ने उक्त विधेयक को शिथिल करने के लिए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख को पत्राचार किया। चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि इस विधेयक को लाये जाने से पूर्व राज्य सरकार के द्वारा कोई भी संवाद/सुझाव/आपत्ति व्यवसायिक संगठनों से नहीं ली गई जो चिंतनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में बाजार समिति शुल्क के कारण ही बाजार समिति में भ्रष्टाचार की स्थिति बनी थी।
व्यवसायिक संगठनों में रोष
तत्कालीन समय के राजस्व संग्रह के आंकडों को देखा जाय तो प्रतीत होता है कि बाजार शुल्क कृषकों के उत्थान के जिस उद्देश्य के लिए किया गया था, इस उद्देश्य के विपरीत उनका भयादोहन हो रहा था। तत्कालीन राज्य सरकार ने इसकी समीक्षा करते हुए इस अव्यवहारिक शुल्क को निरस्त कर दिया था। किंतु पुनः राज्य सरकार द्वारा झारखण्ड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को विधानसभा में पारित कर, राज्य में इसे प्रभावी बनाने का निर्णय लिया गया है जिससे व्यवसायिक संगठनों में रोष व्याप्त है।
2 प्रतिशत बाजार शुल्क विकास के मार्ग को बाधित करेगा
इस विधेयक के प्रभावी होने से 2 प्रतिशत बाजार शुल्क किसान, उपभोक्ता व्यवसाय और कृषि उपज से संबंधित उद्योग के विकास के मार्ग को बाधित करेगा। चैंबर द्वारा प्रेषित पत्र में कहा गया कि झारखण्ड मुख्य रूप से एक उपभोक्ता राज्य है जहां अधिकतर कृषि उत्पादित वस्तुएं अन्य राज्यों से आयातित होती हैं, जबकि उत्पादक राज्य छत्तीसगढ में इस शुल्क को समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान में कृषि उपज पर 2 प्रतिशत बाजार शुल्क लगाये जाने के कारण पुनः कृषि उपज का व्यापार दूसरे राज्यों में पलायन करेगा, जिससे यहां के व्यवसाय व उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पडने से कृषक व मजदूर प्रभावित होंगे।
विधेयक के प्रभावी होने से राज्य में महंगाई बढेगी
चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि झारखण्ड में कृषि शुल्क समाप्त होने के पश्चात् कृषि उत्पादन और कृषि आधारित उद्योगों का काफी विस्तार हुआ है जिसे देखते हुए इसे और बढावा दिये जाने की जरूरत थी। उक्त विधेयक के प्रभावी होने से राज्य में महंगाई बढेगी जिससे कृषकों, आम उपभोक्ता के साथ ही संबंधित व्यवसाय और उद्योग भी प्रभावित होंगे।