[Team insider] झारखंड के ग्रामीण इलाकों के लोगों का भी अजीब मिजाज है। लोग कानून अपने हाथ में ले रहे हैं और भीड़ अपने हिसाब से तत्काल निर्णय कर रही है। कभी जंगल से अवैध तरीके से लकड़ी काट ली जब भीड़ ने मार डाला और कभी जंगल से लकड़ी नहीं काटने दी तब मार डाला। दोनों घटनाएं गुमला और उससे सटे सिमडेगा जिले में घटीं जब भीड़ ने मार डाला। मॉब लिंचिंग विधेक राजभवन और सरकार के बीच झूल रहा है।
पुलिस बनी रही मूकदर्शक
मॉब लिंचिंग विधेयक विधानसभा से पास हुए कोई एक पखवारा ही बीता था, जनवरी के प्रारंभ में सिमडेगा के कोलेबिरा थाना में संजू प्रधान को बुरी तरह पीटने के बाद परिजनों के सामने ही चिता सजाकर जिंदा जला डाला। उसका दोष इतना था कि खूंटकटी प्रथा की अनदेखी तक जंगल से लकड़ी काटकर बेच रहा था। करीब पांच सौ ग्रामीणों की भीड़ और पुलिस की मौजूदगी में यह सब घटना घटी। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। राजनीति भी गरमाई पक्ष-विपक्ष के लोग सामने आये। एक स्थानीय विधायक पर भी भीड़ को उकसाने का आरोप लगा।
भागने के क्रम में शमीम गिरा और भीड़ के हत्थे चढ़ गया
मामला ठंडा हो ही रहा था कि अब पड़ोस के गुमला जिला के भरनो थाना क्षेत्र में रायकेरा वन समिति के पूर्व अध्यक्ष वर्तमान में सदस्य शमीम की ग्रामीणों और लकड़ी तस्करों की कोई तीस-चालीस लोगों की भीड़ ने छह मई को पीटकर हत्या कर दी। शमीम का दोष था कि कुछ लोगों को जंगल में पेड़ काटते हुए देख उसने इसकी सूचना बन विभाग को दी और अपने पुत्र तथा वनरक्षी नवल किशोर के साथ जंगल में पहुंच गया। जब वे लकड़ी जब्त करने की कार्रवाई कर रहे थे। लकड़ी तस्करों और ग्रामीणों की उग्र भीड़ से सामना हो गया। उन्हें खदेड़ दिया। भागने के क्रम में शमीम गिरा और भीड़ के हत्थे चढ़ गया।
पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया
हालांकि वनरक्षी भागने में सफल रहा। सिमडेगा में भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में संजू प्रधान को मार डाला था जबकि यहां पुलिस कह रही है वनरक्षी ने जंगल में जाने की पूर्व सूचना पुलिस को नहीं दी थी। बहरहाल पुलिस मामले में गांव के 35 लोगों के खिलाफ नामजद और पांच अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। प्रशासन के खौफ की कमी का नतीजा है कि आये दिन भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेकर लोगों की हत्यायें की जा रही हैं।