[Team Insider] झारखण्ड के मुख्यमंत्री समेत मंत्री और जनप्रतिनिधि जहां लाखों की गाड़ियों से घूमते हैं। माननीयों के कार्यक्रम हो या सरकारी महकमे के कार्यक्रम मिनरल वाटर का ही इस्तेमाल होता है।लेकिन राजधानी रांची में आज भी ऐसा गांव है। जहां मिनरल वाटर तो दूर की बात है। लोग नाले के पानी पीने को मजबूर हैं।
माननीयों के कार्यक्रम में मिनिरल वाटर से नीचे बात नहीं होती
गर्मी आते ही राजधानी रांची में पानी की समस्या शुरू हो जाती है। लेकिन हैरत की बात यह है कि जहां बूंद बूंद पानी के लिए लोग तरसते हैं। वही पूरी सरकार बैठती है।सरकारी कार्यक्रम हो या फिर माननीयों के कार्यक्रम में मिनिरल वाटर से नीचे बात नहीं होती। लेकिन इसी राजधानी रांची में कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां लोग नाले का पानी पीने को मजबूर है। उन्ही में एक है बुंडू प्रखंड के एदेलहातु पंचायत के सुदूर गांव, चिरुडीह ऊपरटोला। जहां के ग्रामीण आज भी एक पहाड़ी नाले के पानी को पीने को मजबूर हैं।
पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं
झारखंड अलग राज्य की स्थापना के 20 साल से ज्यादा हो चुके है। लेकिन यहां के लोगों के लिए पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है।यहां के लोगों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करना बेहद कठिन कार्य रहा है। इस समस्या को देखते हुए पंचायत द्वारा यहां लगभग दो वर्ष पहले सौर ऊर्जा से संचालित जल मिनार बनाया गया था। लेकिन वह भी खराब पड़ा है। ऐसे में यहां के लोग एक बार फिर पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं।
तलाब के गंदा पानी पीने को मजबूर
दूर दराज से पीने का पानी का जुगाड़ कर आने घर लाने वाली गांव की महिलाएं बताती हैं कि पहाड़ जंगल से नाले के रुप में गिरते बरसात के पानी का सहारा उन्हें फरवरी के अंत तक मिलता है। मार्च के बाद इस नाले के सूख जाने के कारण वे तलाब के गंदा पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं। साथ ही दूसरे गांव जाकर इन्हें पानी लाना पड़ता है। जबकि हाथी और अन्य जंगली जानवरों का भी भय हमेशा बना रहता है।
सौर ऊर्जा संचालित जलमिनार है खराब
वहीं अन्य ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि सौर ऊर्जा संचालित जलमिनार के खराब होने की सूचना लगभग एक वर्ष पहले ही एदेलहातु मुखिया विजय कुमार सिंह मुंडा को दी गयी। लेकिन अबतक जलमिनार का मरम्मत नहीं किया जा सका है। ग्रामीणों ने खुद चंदाकर जलमिनार को बनवाने का प्रयास किया था। लेकिन जलमिनार के मरम्मत में जितना खर्च बताया गया है। उतनी राशि इकठ्ठा करने में ग्रामीण। असमर्थ हैं।आलम यह है कि जलमीनार की मरम्मत नहीं हो सकी और लोगों को पानी के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।