[Team Insider] प्राकृतिक का पर्व सरहुल की तैयारी को लेकर लोग जुट गए हैं। जहां तैयारी जोरों पर है । इस बार सरहुल पूजा 4 अप्रैल को है। बता दें कि सरहुल पर्व के मौके पर शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा की उद्गम स्थल हात्मा का सरना स्थल है । जहां से मुख्य शोभायात्रा निकल कर सिरम टोली सरना स्थल पहुंचती है।
उद्गम सरना स्थल का निरीक्षण विधायक राजेश कश्यप ने किया
बता दें कि सरहुल पर्व में अब कुछ ही दिन शेष रह गया है। जिसको लेकर उद्गम सरना स्थल की तैयारी अभी अधूरी है। दरअसल जिला प्रशासन का ध्यान इस पर नहीं गया। जिसको लेकर विधायक राजेश कश्यप ने हातमा के उद्गम सरना स्थल का निरीक्षण किया। वही विधायक राजेश कश्यप ने सरना स्थल की साफ-सफाई, शोभा यात्रा के दौरान चिकित्सा व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराने की मांग को लेकर रांची उपायुक्त और कल्याण सचिव से मुलाकात करने की बात कही है।
क्यों मानते है सरहुल पर्व
सरहुल एक प्रकृति पर्व है। सरहुल आदिवासियों का मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो कि वसंत में मनाया जाता है। पतझड़ के बाद पेड़ पौधे खुद को नए पत्तों और फूलो से सजा लेते है, आम मंजरने लगता है। सरई और महुआ के फूलो से वातावरण सुगन्धित हो जाता है। जिस प्रकार सखुआ सरई फूल से खुद को सजता है। आदिवासी लड़किया और महिलाये अपने जुड़े को सजा लेती है। और तब मनाया जाता है सरहुल। सरहुल प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष के तृतीया से सुरु होता है और चैत्र पूर्णिमा के दिन संपन्न होता है। सरहुल में सखुआ के वृक्ष का विशेष महत्वा होता है। सरहुल के साथ ही आदिवासियों का नव वर्ष का आरम्भ होता है। इस पर्व के बाद ही नई फसल विशेषकर गेहूं की कटाई होती है।