[Team insider] राज्यसभा के 57 सीटों पर 10 जून को चुनाव होने हैं। वहीं झारखण्ड की भी दो सीट के लिए भी इस दिन वोट पड़ेंगे। इन दो सीटों पर इस बार भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान तय है। इसे लेकर लेकर झारखंड में भी सियासी हलचल तेज हो गई है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हेमंत सरकार के लागातार खनन मामले को लेकर हमलावर तो वहीं और कांग्रेस का अंदरूनी कलह भी गाहे-बगाहे सामने आ रही है। वो इस बात का संकेत दे रहा है कि झारखंड में होने वाले दो सीटों के राज्यसभा चुनाव में कोई बड़ा खेल हो सकता है।
दोनों सीटों के लिए सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी
अगर आंकड़े की बात करें तो दोनों सीटों के लिए सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है और आंकड़े भाजपा के पक्ष में नहीं हैं। एक सीट के लिए झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार के पास पर्याप्त संख्या है। राज्यसभा चुनाव के लिए पहले वरीयता का 28 वोट प्रत्याशी को हासिल करना है। सत्ता पक्ष आसानी से इस आंकड़े को पार कर लेगा, वहीं भाजपा के पास वर्तमान में 26 विधायक हैं, यानि उसे दो वोट की जरूरत होगी।
कांग्रेस विधायक और झामुमो में नहीं बन रही तालमेल
हलांकि कांग्रेस विधायक और झामुमो में तालमेल नहीं बन रही है। कांग्रेस पार्टी पिछले चुनाव का हवाला देकर इस बार राज्यसभा चुनाव में पहली प्राथमिकता अपने दल के उम्मीदवार को लेकर झामुमो पर दबाव बना रही है। लेकिन, आंकड़े का हवाला देकर झामुमो कांग्रेस के इस दबाव को दरकिनार किये हुये है। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में जीत के लिये 27 विधायकों का समर्थन चाहिये और आंकड़े के हिसाब से झामुमो के पास 30 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में साफ है कि झामुमो राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दबाव में नहीं आयेगा।
भाजपा अपना उम्मीदवार को जरूर जिताने में सफल होगा
वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता राज्यसभा चुनाव को लेकर लगातार दिल्ली दौरा कर रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने मीडिया से बात करते हुए कहा की राज्यसभा चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी झारखंड का ही भाजपा का कार्यकर्ता होगा। जेएमएम और कांग्रेस किया अपने कार्यकर्ताओं को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाएगा। वह देखना होगा और भाजपा अपना उम्मीदवार को जरूर जिताने में सफल होगा।
पांच विधायक राज्यसभा चुनाव में खेला कर सकते
वहीं पांच विधायक राज्यसभा चुनाव में खेला कर सकते हैं। क्योंकि भाजपा का रास्ता इनके बिना पार नहीं लगने वाला है। दरअसल सुदेश कुमार महतो, लंबोदर महतो, निर्दलीय सरयू राय व अमित यादव और एनसीपी के कमलेश सिंह को मिलाकर झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया था, जिसका असर राज्यसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। इन पांच विधायकों का वोट किसी भी प्रत्याशी के लिए निर्णायक होगा।