[Team insider] सफेद हाथी एक कहावत के रूप में प्रचलित है। जब कोई संस्थान अपने ही बोझ से दब जाये, आमदनी से बहुत ज्यादा खर्च करने लगे तो कहते हैं ‘सफेद हाथी’ हो गया है। मगर हकीकत में हाथियों की तरह सफेद हाथी भी होते हैं। हाथियों के देश के रूप में चर्चित थाईलैंड में सफेद हाथी पाये जाते रहे हैं। वहां भी यह समृदि्ध का प्रतीक हैं। शाही दरबार और राजघरानों में ये पाले जाते हैं। देश दुनिया में दूसरी जगह सफेद हाथी नहीं पाये जाते। मगर यह जानकर हैरत होगी कि किसी दौर में झारखंड में भी सफेद हाथी थे। लोग इसे किवदंति मानें मगर झारखंड के दो राजघरानों में इनके पाये जाने का उल्लेख मिलता है।
सारंडा से दलमा तक का रूट एलिफैंट कोरिडोर के रूप में जाना जाता है
वैसे झारखंड में सबसे घने जंगल सारंडा से दलमा तक का रूट एलिफैंट कोरिडोर के रूप में जाना जाता है। आये दिन हाथियों का बस्तियों में प्रवेश और ग्रामीणों पर हमले की खबरें आती रहती हैं। रांची के ग्रामीण इलाकों में भी इनका दिख जाना आम बात है। यहां प्रचुर संख्या में हाथियों की मौजूदगी के कारण प्रदेश में इसे राजकीय पशु का भी दर्जा हासिल है। पलामू में दो सौ सालों से अधिक तक शासन करने वाले चेरो वंश के राजघराने में भी सफेद हाथी था। शेरशाह के झारखंड पर आक्रमण का मुख्य मकसद सफेद हाथी श्यामसुदर को हासिल करना बताया जाता है। मुंडा राज के दौरान भी सफेद हाथी था।
पूर्व सांसद ने अपनी पुस्तक में झारखंड में सफेद हाथी की चर्चा की
झारखंड की समरगाथा नामक किताब लिखने वाले वरिष्ठ राजनेता और झारखंड आंदोलन में बड़ी भूमिका अदा करने वाले पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने अपनी पुस्तक के 41 वें पृष्ठ पर झारखंड में सफेद हाथी की चर्चा की है। इतिहासकार मोहम्मद यादगार की तारीख-ए-शेरशाही का हवाला देते हुए कहा है कि शेरशाह ने झारखंड के चेरो राजा महारता के यहां से श्यामचंद्र नामक एक सफेद हाथी को हासिल करने के लिए सेना का एक अभियान दल भेजा था। हाथी तो सिर्फ बहाना था और उस हाथी के बहाने झारखंड का टोह लेना शेरशाह का एकमात्र उद्देश्य था। छह अप्रैल 1538 को शेरशाह ने रोहतास को अपने कब्जे में ले लिया। चेरो शासन के पहले छोटानागपुर में लंबे समय के मुंडाओं का शासन रहा।
मुंडाओं के राजा रिसा के समय सफेद हाथी हुआ करता था
संत जेवियर्स कॉलेज के प्रोफेसर संतोष किड़ों ने भी अपनी किताब ‘लाइफ एंड टाइम जयपाल सिंह मुंडा’ में छोटानागपुर में सफेद हाथी की चर्चा की है। लिखा है कि मुंडाओं के राजा रिसा के समय सफेद हाथी हुआ करता था। बाद में चेरों साम्राज्य में हुआ। रिसा मुंडा का सेनापति सुतिया मुंडा इसी सफेद हाथी पर सवार होकर अपने शासन क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों की खोजखबर लेता था।