[Team insider] पारम्परिक लोकपर्व मंडा पूजा इस साल पुरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। बता दें कि यह पर्व अच्छी बारिश, खेत-बारी और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान भक्त 7 से 9 दिन तक लगातार उपवास करने के बाद आग पर चलने और ऊंचाई पर पीठ पर लगे हुक के सहारे झूलते हैं। मंडा पर्व के भक्त आराध्य भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना करते हैं।
बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक दहकते अंगारे पर चले
वहीं मंडा पूजा कांके के सुकुरहुटू में 9 दिनों की समाप्त हो गया। पूजा के दौरान बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक दहकते अंगारे पर चले। इससे पहले वे अंगार स्थल पर महादेव की पूजा व परिक्रमा करते हैं। दो तरह के लोग इस पूजा में शामिल होते हैं, एक तो वे जिन्हें मन्नत मांगनी होती है और दूसरे वे जिनकी मन्नत पूरी हो गई होती है। यह पूजा अच्छी बारिश की कामना के लिए भी की जाती है, ताकि परिवार सुख शांति से रहे। पूजा से पहले मुख्य पुजारी मधुसूदन दास गोस्वामी जल छिड़ककर सबकी शुद्धि करते हैं।
शंकर की पहली पत्नी सती के बलिदान की याद के रूप में मनाई जाती
मंडा पूजा का इतिहास भी काफी प्राचीन है। लोग बताते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत नागवंशी राजाओं के द्वारा की गई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार झारखंड में मनाई जाने वाली मंडा पूजा भगवान भोले शंकर की पहली पत्नी सती के बलिदान की याद के रूप में मनाई जाती है। ये भक्त दहकते अंगारों पर बच्चों को भी सिर के बल झुलाते हुए निकल जाते हैं।