रांची: महाधिवक्ता के प्रेस कांफ्रेंस पर भाजपा नाखुश दिखाई पड़ रही है। इसे लेकर भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि जिस प्रकार महाधिवक्ता सरकार का गुणगान कर रहे हैं उससे वो महाधिवक्ता कम झामुमो के विधि प्रकोष्ठ के कार्यकर्ता ज्यादा लग रहे हैं। महाधिवक्ता के बयान के जरिए सुधीर ने हेमंत पर निशाना साधते हुए कहा कि महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद होता है और उस पद की गरिमा होती है। जिस प्रकार संवैधानिक पद को ताक पर रखकर महाधिवक्ता आज सरकार का गुणगान कर रहे थे उससे स्पष्ट हो गया है कि हेमंत सरकार अब राजनीतिक लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं है। आज महाधिवक्ता ने कहा कि झारखण्ड देश का पहला राज्य है जहाँ वकीलों को सरकार अपनी योजनाओ से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है।
महाधिवक्ता को यह भी बताना चाहिए कि पहली बार है कि सरकार के किसी कार्य का गुणगान महाधिवक्ता हाई कोर्ट परिसर के अन्दर प्रेस कांफ्रेंस कर के कर रहे हैं। सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि महाधिवक्ता को यह भी बताना चाहिए कि हेमंत सरकार ने 2021 में कोर्ट फीस में दस गुना वृद्धि की थी और तब अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया था और उस वक्त महाधिवक्ता ने अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया था। साल 2023 के 6 और 7 जनवरी को बार काउंसिल के निर्देश पर 35000 से ज्यादा अधिवक्ता अदालती करवाई का बहिष्कार करने का निर्णय लिए थे।
वहीं दूसरी तरफ महाधिवक्ता ने राज्य सरकार के सभी अधिवक्ताओं को 6 जनवरी 2023 को निर्देश दिये थे की कोर्ट में जाकर काम करें और 7 जनवरी को मुख्यमंत्री को ओर से आयोजित संवाद में सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं को कार्यक्रम में हिस्सा लेने का निर्देश दिए थे। महाधिवक्ता को यह भी बताना चाहिए की हेमंत सरकार में कितने अधिवक्ताओं की हत्या हुई और कितने अधिवक्ताओं पर केस दर्ज हुए। हेमंत सरकार के अब ऊँगली पर दिन बचे हैं तो महाधिवक्ता को भी अपना पद उंगली पर गिनना शुरू कर देना चाहिए। सुधीर ने हेमंत सोरेन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब हेमंत सरकार नेताओं के बदले अपने अफसरों एवं महाधिवक्ता को आगे कर के राजनितिक लड़ाई लड़ रही हैं। अभी हाल ही में सरकार के झारखण्ड कैबिनेट सचिवालय सतर्कर्ता विभाग के प्रधान सचिव वंदना डडेल ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर भाजपा नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।