नयी दिल्ली: एक ऐसा रेप कांड जिसने देश को दहला कर रख दिया। जी हां अजमेर की छात्राओं से हुए इस रेप कांड पर अजमेर की विशेष न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। बचे हुए सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है। बता दें राजस्थान के अजमेर के ब्लैकमेल कांड के बाकी बचे 7 में से 6 आरोपियों (नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहिल गणी, सैयद जमीर हुसैन) को कोर्ट ने दोषी माना है। इन सभी दोषियों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला पोक्सो विशेष कोर्ट संख्या 2 ने सुनाया है। मालूम हो कि साल 1992 में 100 से ज्यादा कॉलेज गर्ल्स के साथ गैंगरेप और उनकी न्यूड फोटो सर्कुलेट होने पर तहलका मच गया था।
इस गम्भीर मामले में 18 आरोपी थे। इनमें से 9 को सजा हुई थी। बता दें कि दरगाह क्षेत्र निवासी नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, सौहेल गनी, जमील चिश्ती और मुंबई निवासी इकबाल भाटी और इलाहाबाद निवासी नसीम उर्फ टार्जन के विरुद्ध पॉक्सो प्रकरण की विशिष्ट न्यायालय संख्या 2 में चल रहे मुकदमे में फैसला आया है। 1992 में अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले में अनवर चिश्ती, फारूख चिश्ती, परवेज अंसारी, मोइनुल्ला उर्फ पुत्तन इलाहाबादी, इशरत उर्फ लल्ली, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, शमशु चिश्ती उर्फ मेंराडोना और नसीम उर्फ टार्जन को गिरफ्तार किया था।
जानिए पूरी कहानी
देश के सबसे बड़े सेक्स कांड जिसमें अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस चिश्ती और उसके गुर्गे स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को शिकार बनाते थे। उन छात्राओं को फार्महाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर बुलाकर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर उनके द्वारा सामूहिक दुराचार किया जाता और उनके अश्लील फोटो खींच लिए जाते। इन अश्लील फोटो के आधार पर लड़कियों से अन्य लड़कियों को लाने के लिए मजबूर किया जाता। यानी एक शिकार से दूसरे शिकार को फंसाया जाता था। इसके बाद कुछ पीड़ीताओं ने प्रकरण दर्ज होने से पहले हिम्मत कर बयान देने पुलिस के पास भी गई थी, लेकिन पुलिस ने उन पीड़िताओं के सिर्फ बयान लेकर चलता कर दिया था। इसके बाद रसूखदार लोंगों से बाद में उन पीड़िताओं को धमकियां मिलती रहीं। लिहाजा वे दोबारा पुलिस के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं। इसके बाद लोक लज्जा के डर से कोई सामने आकर पुलिस में शिकायत करने को तैयार नहीं थी। बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिए। बता दें कि सन 1992 में अजमेर के एक कलर लैब से कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए थे और शहर में चर्चित हो गए। तब पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अश्लील फोटो की जांच की। तब इस घिनौने अपराध और षड्यंत्र का भांडा फूट गया। पूलिस ने पाया कि अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ। आरोपियों की गुंडागर्दी और ऊंचे ताल्लुकात व नेताओं तक पहुंच की वजह से प्रकरण दर्ज होने के बाद भी किसी भी लड़की ने सामने आने की हिम्मत नहीं दिखाई। तब पुलिस ने फोटो के आधार पर पीड़िताओं को खोजना शुरू किया। वहीं इस जाल में फंसी दुष्कर्म और ब्लैकमेल का शिकार हुई कुछ लड़कियों ने आत्महत्या कर ली। वहीं कुछ ने चुप्पी साधते हुए शहर ही छोड़ दिया पुलिस ने खोजबीन करके कुछ पीड़िताओं के बयान दर्ज करवाए और मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश की। बता दें अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड उस दौर में सामने आया, जब अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर देशभर में सियासत गर्म थी। देश में साम्प्रदायिक माहौल बना हुआ था। तब दंगे की आशंका के मद्देनजर भी अजमेर पुलिस ने मामले को लंबित रखा। दसके बाद तत्कालीन समय भैरू सिंह शेखावत सरकार ने मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौंपने का निर्णय लिया। तब इस मामले में पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। और आज 32 सालों के लम्बे इंतजार के बाद कोर्ट में दोषियों को सजा हुई।