रांची: मंगलवार को जेएसएससी स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के विज्ञापन संख्या 21/ 2016 से संबंधित मीना कुमारी एवं अन्य की याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट की एकल पीठ में प्रार्थियों की ओर से बहस पूरी हो गई। इस दौरान प्रार्थियों की ओर से कोर्ट को दिखाया गया कि कई अभ्यर्थियों जिनका अंतिम चयनित अभ्यर्थियों से कम नंबर है उनकी भी नियुक्ति की गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया है जिसके कारण मेरिट लिस्ट में काफी गड़बड़ियां हैं। गड़बड़ियों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया, कोर्ट से आग्रह किया गया कि प्रार्थियों की संख्या हजारों में है। ऐसे में एक सदस्य वाली न्यायिक कमिशन का गठन किया जाए जो जेएसएससी के मेरिट लिस्ट और अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत शिकायत पर जांच करेगी और फैसला लेगी। प्रार्थियों की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि 3704 पद रिक्त है। उसे सरकार द्वारा सरेंडर करना गलत है। वहीं अदालत में इस संदर्भ में प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट को भी दर्शाया गया। कोर्ट से अनुरोध किया गया कि बचे हुए रिक्त पदों पर प्रार्थियों की नियुक्ति की जाए। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि महाधिवक्ता के अस्वस्थ रहने के कारण वह आज कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रख पाए हैं इसलिए एक दूसरी तिथि सुनवाई के लिए दी जाए जिस पर कोर्ट ने सिर्फ महाधिवक्ता का पक्ष जानने के लिए 3 जनवरी 2025 की तिथि निर्धारित की है। प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव नंदा, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अधिवक्ता अमृतांश वत्स, अधिवक्ता राजेश कुमार ने पैरवी की. सुनवाई के दौरान जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कोर्ट को बताया कि स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट के अनुसार जेएसएससी के द्वारा नियुक्ति के अनुशंसा की गई है। प्रार्थियों का यह कथन गलत है कि प्रार्थी का प्राप्तांक स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट में अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है। सभी प्रार्थी का प्राप्तांक स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट के चयनित अंतिम अभ्यर्थी से कम है इसलिए इनकी नियुक्ति नहीं की गई है।