रांची: झारखंड में चुनाव की तिथियों की घोषणा कभी भी हो सकती है। ऐसे में सभी दल अपने क्षेत्रों में अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुटे हैं। कांग्रेस जेएमएम राजद की ईंडी पार्टी भी अपने पूरे दमखम लगा रही है तो वहीं भाजपा भी चुनाव को लेकर कोइ्र कसर बाकि नहीं रखना चाहती। 2019 की हार के बाद बीजेपी बेहद सधे हुए कदमों से चाल चल रही। फिर चाहे वो सीट शेयरिंग का मुद्दा हो या प्रत्याशियों के चयन का भाजपा अपने लोगों को समेट कर ही आगे बढ़ना चाहती है।
राजनीति की गलियों से खबर आ रही है कि भाजपा अपने सीनीयर नेता और झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को इस बार टिकट नहीं दे रही। इस बार अर्जुन चुनाव नहीं लड़ेंगे। वहीं खबर ये भी है कि इसबार अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को भाजपा प्रत्याशी के रूप में पोटका से टिकट मिल सकता है। भाजपा के लिए यह चुनाव आसान नहीं है। इसका प्रमुख कारण सीट शेयरिंग को लेकर फंस रहा पेंच है।
भाजपा अपने सहयोगी दलों को नाराज नहीं करना चाहती लेकिन सीट बंटवारे को लेकर कोई रियायत भी नही बरतना चाहती। ऐसे में सहयोगी दल आजसू लोजपा की मांग है कि उन्हें अधिक से अधिक सीटें चाहिए पर भाजपा रिस्क नहीं लेना चाहती। मालूम हो कि पीछली विधानसभा चुनाव में भी आजसू के साथ सहमति न बनने के कारण भाजपा और आजसू ने अलग चुनाव लड़ा था। नतीजा आजसू 53 सीटें लड़कर महज दो सीट में सिमट गयी थी और भाजपा भी अपने कई महत्वपूर्ण सीटों से हार कर 25 पर सिमट गयी थी। पूर्व सीएम रघुवर उास भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। इसबार का चुनाव भाजपा और सहयोगी दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
बता दें झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में बीजेपी एक्शन मोड में है। इसे लेकर बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीजेपी अपने सहयोगियों के लिए 10 से 12 सीटें छोड़ने की योजना बना रही है, ताकि चुनावी रणभूमि में मजबूती से उतर सके। बताया जा रहा कि बीजेपी की पहली प्रत्याशी सूची जल्द जारी होने की संभावना है, जिसमें कई बड़े चेहरे शामिल हो सकते हैं। बीजेपी इसबार कोई रिसक नहीं लेना चाहती इसलिए सहयोगी दलों की नाराजगी से बचने के लिए वे उन्हें उनकी पसंदीदा सीटें देने को तैयार हैं। बता दें चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। ऐसे में सभी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।