रांची: बड़ी खबर झारखंड से है जहां झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के खाते से 109 करोड़ रुपये झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (जेटीडीसी) के फर्जी खाते में हस्तांतरित होने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा कि ऊर्जा निगम के सेंट्रल बैंक स्थित खाते से करीब एक साल से पैसा जेटीडीसी के फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर हो रहा था। वहीं पैसे को कई चरणों में सैंकड़ों अकाउंट में ट्रांसफर किया गया है। इस पूरे खेल का शातिर कोलकाता का मास्टरमाइंड और उसका गिरोह है।
इससे पहले जेटीडीसी के नाम पर फर्जी खाता खुलवा कर उससे दूसरे के अकाउंट में 10.44 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर निकासी का मामला सामने आया था। बता दें इस मामले में धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। साथ ही इस मामले को सीआइडी को ट्रांसफर करने के बाद रांची स्थित साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। सीआइडी 10.44 करोड़ के साथ ही 109 करोड़ रुपये के मामले की भी जांच करेगी। इस फर्जीवाड़े को लेकर डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर गठित सीआइडी व एटीएस की संयुक्त एसआइटी ने सोमवार को एक साथ रांची, रामगढ़, मुजफ्फरपुर और कोलकाता में छापा मारा था।
दूसरी ओर बैंकों में ट्रांसफर किये गये 35 करोड़ रुपये को जांच एजेंसी ने फ्रीज करा दिया है। वहीं इस हेराफेरी को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट़वीट कर कहा कि झारखंड ऊर्जा उत्पाद निगम लिमिटेड के खाते से 109 करोड़ रुपए की फरजी निकासी सोची समझी साजिश और गंभीर आर्थिक अपराध है। कुछ अधिकारियों पर केस दर्ज करा के राज्य सरकार मामले को सीआईडी जांच करने का नाटक कर रही है। हेमंत सरकार में सीआईडी जांच की विश्वसनीयता हमेशा शक- सवालों के घेरे में रही है? सीआईडी जांच करा के सरकार क्या बड़ी मछलियों को बचाने का प्रयास कर रही है?
अरबों रुपए की धोखाधड़ी एवं इसके तार दूसरे राज्यों से जुड़े होने के उद्भेदन हेतु राज्य सरकार अविलंब उक्त मामले की जांच सीबीआई को सौंपे। मालूम हो कि झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के सेंट्रल बैंक हिनू शाखा में संचालित खाते से उक्त राशि केनरा बैंक की हटिया शाखा में जेटीडीसी के नाम से खोले गये फर्जी खाता में ट्रांसफर किया गया था। रिकार्ड के मुताबिक यह ट्रांजेक्शन लंबे समय से हो रहा था।
जेटीडीसी के निदेशक ने जेटीडीसी के फर्जी खाते से 10.44 करोड़ का ट्रांजेक्शन पकड़ा था। उसके बाद पर्यटन विभाग की ओर से ऊर्जा विभाग को पत्र लिखा गया था कि आपके यहां से पैसे क्यों ट्रांसफर किया गया है? इसके बाद मामले के सामने आने के बाद ऊर्जा विभाग व बैंक अधिकारियों ने चार दिनों तक मामले की जांच की। इसमें पता चला कि पैसा निगम के पेंशनधारियों के लिए बने ट्रस्ट का था है। बताते चलें कि इस ट्रस्ट के खाते में लगभग 150 करोड़ रुपये जमा थे।