रांचीः दानयल दानिश की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। संथाल में बांग्लादेशी घसुपैठ की वजह से आदिवासियों की घटती आबादी और डेमोग्राफी में बदलाव से जुड़ी अस याचिका पर राज्यसरकार और केंद्र सरकार के अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखा। वहीं फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को लेकर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इस मामले को लेकर खंडपीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन को लेकर राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव की 30 सितंबर को एक मीटिंग होनी है। इस बैठक में घुसपैठियों को कैसे चिन्हित किया जाए, इसपर मंथन होगा। वहीं राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह जनहित याचिका है ही नहीं। यह भाजपा का एक राजनीतिक स्टैंड है। भाजपा के सारे नेता इसको मुद्दा बना रहे हैं। इसलिए जनहित याचिका के जरिए कोर्ट में मामला लाया गया है।सिब्बल ने कहा कि घुसपैठ को लेकर किसी तरह का डाटा कभी नहीं पेश हुआ है।
इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है। वहीं वरीष्ठ अधिवक्ता के इस बयान पर इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जनगणना को आधार बनाकर डाटा दिया जा चुका है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बताते चलें कि 12 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कमेटी के गठन को लेकर किसी तरह का सुझाव नहीं आया था। इसपर सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से दोबारा सुझाव मांगा गया था।
17 सितंबर 2024 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पांच जिलों के उपायुक्तों ने घुसपैठ से इनकार किया है जबकि साहिबगंज के डीसी ने दो घुसपैठ की बात स्वीकार की है। केंद्र सरकार की ओर कहा गया था कि घुसपैठ हुई है और पहचान कर कार्रवाई करने की जरूरत है। वहीं राज्य सरकार का कहना था कि बांग्लादेशी घुसपैठ पश्चिम बंगाल के अलावा दूसरे राज्यों से होते हुए झारखंड में होने की बात है, इसलिए इसपर केंद्र सरकार से राय मशविरा करना जरुरी है।