कमजोर हालात में भी अगर खुद पर भरोसा हो तो सफलता कदम चूम ही लेती है। उक्त बातें हॉकी में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली झारखंड की ब्यूटी डुंगडुंग पर सटीक बैठती है। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद उनकी महनत और हॉकी के प्रति इमानदारी ने उन्होंने आज नेशनल लेवल खिलाड़ी बना दिया। ऐसे में आइए आज महिला दिवस पर उनकी संघर्ष की कहानी को जानते है।
झारखंड के सिमडेगा के करंगागुड़ी गांव की रहने वाली ब्यूटी डुंगडुंग को बचपन से ही हॉकी से काफी लगाव था। उनका ये प्रेम आरसी उत्क्रमित मध्य विद्यालय के फादर बेनेदिक कुजूर के कारण बढ़ा। उन्होंने ही शुरूआती दौड़ में ब्यूटी डुंगडुंग को ट्रेनिंग दी। जिसके बाद उनकी प्रतिभा को सिमडेगा के लचरागढ़ के पंखरासियुस टोप्पों ने पहचाना। वह रात में कल्याण विभाग के हॉस्टल में नाइट गार्ड का काम करते थे और दिन में ब्यूटी डुंगडुंग को ट्रेनिंग करवाते थे। वे पूर्व में हॉकी खिलाड़ी भी रह चुके थे।
साल 2016 में पहली बार ब्यूटी को झारखंड टीम में चुना गया। जहां उनके बेहतर प्रदर्शन के कारण उन्हें नेशनल चैंपियनशिप में चुना गया। वहां सिमडेगा आवासीय सेंटर की कोच प्रतिमा बरवा ने ट्रेनिंग में उनकी मदद की। जिसके बाद साल 2018 में जब जूनियर इंडिया कैंप में ब्यूटी का चयन हुआ तो फादर बेनेदिक कुजूर ने उसकी आर्थिक मदद की। लेकिन साल 2020 में कोरोना आ जाने के कारण एक बार फिर से ब्यूटी के परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई।
हालात से निकलने के लिए ब्यूटी डुंगडुंग के पिता ने अपनी खेत बेच दी और वह दूसरे के खेत में काम करने लगे। इसके बावजूद वह आर्थिक पूर्ति को पूरा नहीं कर पाए। ऐसे में हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी सामने आए और उन्हें ब्यूटी डुंगडुंग को जिला मुख्यालय में रहने और खाने की व्यवस्था कर दी। इसके बाद मानों ब्यूटी के पंख को एक नई उड़ान मिल गई। नतीजा हुआ कि 2021 में फिर वह जूनियर वर्ल्ड कप के लिए टीम में चुनी गई। 2022 से वह सीनियर इंडिया टीम का हिस्सा हैं। हाल ही में रांची में ओलंपिक क्वालिफायर में विशेषज्ञों ने उसके खेल की खूब तारीफ की।