पटना: अक्सर यह बात प्रचारित की जाती रही है कि जाति सर्वे करने वाला बिहार पहला राज्य है जबकि यह बात सरासर गलत है। जाती सर्वे करने वाला बिहार पहला नहीं तीसरा राज्य है। इसके पहले कर्नाटक में जाति सर्वे हुआ हालांकि वह सर्व सार्वजनिक नहीं हो पाया और उसके भी पहले देश में पहला जाती सर्व 1968 -69 में केरल में किया गया। तब वहां नंबूदरी पाद की सरकार थी। वहां गठित पहली सरकार को डिसमिस कर दिया गया था लेकिन उस सरकार ने भूमि सुधार और समान शिक्षा सुधार नामक दो जो बड़े सुधार किये उन्होंने केरल में विकास की एक इमारत खड़ी की। गौरतलब है कि वहां जो यह बड़े सुधार संभव हुए वहां के वे नेता जमींदार कुलीन पृष्ठभूमि से आते थे।
यह बातें वरिष्ठ पत्रकार चिंतक एवं चर्चित लेखक उर्मिलेश ने पटना कॉलेज के परीक्षा भवन स्थित मुंशी प्रेमचंद सभा भवन हॉल में जाति जनगणना कितना जरूरी, कितना गैर जरूरी विषयक व्याख्यान में कही। सोशल जस्टिस आर्मी एवं रिसर्च स्कॉलर संगठन द्वारा आयोजित इस सभा का संचालन गौतम आनंद और धन्यवाद ज्ञापन शाश्वत ने किया । पटना विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के अतिथि शिक्षक आशुतोष ने विषय प्रवेश करते हुए जाति जनगणना के सवाल को बेहद महत्वपूर्ण माना। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के शशिकांत पासवान ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जाति जनगणना का सवाल बेहद महत्वपूर्ण है।
समाज के कुलक वर्गों ने इसके विरुद्ध जो हवा तैयार की है उसे समझने की जरूरत है। शशि प्रभा ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना, आरक्षण आदि मुद्दों को जब तक एड्रेस नहीं किया जाएगा, बहुजन समाज का कल्याण संभव नहीं है। कार्यक्रम के शुरुआत में आगत अतिथियों को सॉल देकर रंजन क्रांति मनोरंजन राजा और श्वेत सागर द्वारा सम्मानित किया गया। उपस्थित छात्रा युवाओ ने उर्मिलेश जी ने संवाद भी किया। संवाद करने वाले में पत्रकार हेमंत कुमार, सन्नी कुमार त्रिलोकी और सचिन आदि मुख्य थे। इस मौके पर बिहार के विभिन्न दलों के छात्रों के साथी विभिन्न समूहों से जुड़े नागरिक समाज के प्रबुद्ध जन,लेखक पत्रकार और यूट्यूबर भी शरीफ रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में अरुण नारायण ने आगत अतिथियों का स्वागत किया और उर्मिलेश जी की शख्सियत से जुड़े विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया। समारोह में उर्मिलेश जी ने जाति जनगणना, आरक्षण, ईडब्ल्यूएस सहित अन्य मामलों पर भी विस्तार से रोशनी डाला और उपस्थित श्रोता दर्शकों के सवालों का जवाब भी दिया । उन्होंने कहा कि जाति जनगणना नेशनल प्रगति का एजेंडा है यह विकास का डेमोक्रेटिक एजेंडा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार टीडीपी और जदयू की कृपा पर टिकी है लेकिन वह आज तक जाति सर्वे को 9वीं अनुसूची में नहीं डाल पाई।