पटना: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने 2025 के पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया है। इस सूची में बिहार के ऐसे दो लोगों के नाम शामिल हैं जिनकी उपलब्धियों से इस राज्य के ज्यादातर लोग वाकिफ नहीं थे। इनमें भीम सिंह भावेश का नाम शामिल है, जो मुसहर के मसीहा नाम से जाने जाते हैं। बता दें बिहार के आरा के रहने वाले भीम सिंह भावेश और मुजफ्फरपुर की निर्मला देवी को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने का फैसला लिया है। भीम सिंह भावेश को समाजसेवा के लिए तो निर्मला देवी को कला के क्षेत्र में पद्मश्री मिला है। मुसहर के मसीहा को सम्मान केंद्र सरकार ने इस साल आरा के रहने वाले भीम सिंह भावेश को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने का फैसला लिया है। आरा (भोजपुर) के रहने वाले भीम सिंह पेशे से पत्रकार रहे हैं। पत्रकारिता के दौरान उन्होंने मुसहर समाज की दुर्दशा देखी तो अपना जीवन उनके लिए समर्पित कर दिया. वे पिछले 22 सालों से भोजपुर जिले के साथ साथ आस-पास के क्षेत्र में मुसहरों के लिए काम कर रहे हैं। मालूम हो कि भीम सिंह भावेश अपनी संस्था “नई आशा” के जरिये मुसहर बस्तियों में काम करते हैं। वे दलितों और अति पिछड़ी जातियों की शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए काम करते हैं। भोजपुर जिले में उन्होंने करीब 8 हजार मुसहर बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाया है। वह 100 से ज्यादा स्वास्थ्य शिविर आयोजित करवा चुके हैं। उन्होंने अपनी दो किताबों नेमप्लेट और कोलकाता से कोलकाता के जरिये मुसहर समाज की दुर्दशा को समाज के सामने रखा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने कला के क्षेत्र में मुजफ्फरपुर की निर्मला देवी को भी पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला लिया है। 75 साल की निर्मला देवी सूजनी कला में पिछले 4 दशक से काम कर रही हैं। उनके काम को जीआई टैग मिल चुका है। केंद्र सरकार के मुताबिक निर्मला देवी ने सूजनी कला को न सिर्फ इस देश में बल्कि पूरी दुनिया में फैलाने में अहम भूमिका निभायी है। कई देशों के म्यूजियम में उनकी कला का प्रदर्शन किया जा रहा है। मुजफ्फरपुर में वह भूसरा महिला विकास समिति चला रही हैं। इस संस्था के जरिये एक हजार से ज्यादा महिलाओं को सूजनी कला का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।