झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बड़ा कदम उठाते हुए 30 बागी नेताओं को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इन नेताओं ने पार्टी और एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिससे पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन हुआ। यह कार्रवाई भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निर्देश पर की गई है, जो राज्य में पार्टी की स्थिति को मजबूत रखने और आंतरिक मतभेदों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
निष्कासित नेताओं में प्रमुख नामों में शामिल हैं:
- बटेश्वर मेहता (हजारीबाग) और भैय्या बांके बिहारी (हजारीबाग)
- चंद्रमा कुमारी (पलामू), कुमकुम देवी (हजारीबाग), लक्ष्मी देवी (पलामू), और जूली यादव (दुमका)
- बलवंत सिंह (लातेहार), अरविंद सिंह (खरसावां), चितरंजन साव (बोकारो)
- कर्नल संजय सिंह (पलामू), हर्ष अजमेरा (हजारीबाग), हजारी प्रसाद साहू (रांची ग्रामीण), मिसिर कुजूर (गुमला) और मिस्त्री सोरेन (पाकुड़)
- मुकेश कुमार शुक्ला (पाकुड़), पुष्परंजन (पलामू), राजकुमार सिंह (जमशेदपुर महानगर), रामावतार केरकेट्टा (रांची ग्रामीण), रामदेव हेम्ब्रम (पूर्वी सिंहभूम) और रामेश्वर उरांव (लोहरदगा)
- उमेश भारती (चतरा), शिवशंकर सिंह (जमशेदपुर), शिवचरण महतो (पाकुड़), संतोष पासवान (लातेहार), और विनोद सिंह (पलामू)
- शिव शंकर बड़ाइक (खूंटी), उपेंद्र यादव (गढ़वा), विकास सिंह (जमशेदपुर पश्चिम), विमल बैठा (जुगसलाई)
ये सभी नेता या तो निर्दलीय चुनाव में उतरे थे या पार्टी के खिलाफ आंतरिक संघर्ष में शामिल थे, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुँच सकता था। भाजपा का कहना है कि इन बागी नेताओं ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन किया था, और भाजपा अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करती। भाजपा का यह कदम दिखाता है कि पार्टी अनुशासन और संगठनात्मक एकता को चुनावी प्रक्रिया में सर्वोपरि मानती है। यह निष्कासन इन नेताओं के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है, और अब यह देखना होगा कि वे भविष्य में किस राजनीतिक रुख को अपनाते हैं। क्या वे भाजपा के खिलाफ अपनी स्थिति बनाए रखते हैं या फिर किसी अन्य दल से जुड़कर आगामी चुनावी मैदान में उतरते हैं, यह सवाल बना हुआ है।