झारखंड में पिछले 35 सालों से बीजेपी यहां के लोगों को अपने साथ लेकर चलने में कामयाब रही है। यह सिलसिला तब से शुरू हुआ जब राम मंदिर बनाने के लिए बीजेपी नेताओं ने रथ यात्रा निकाली थी। उस वक्त भी बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा उठाते हुए 1989 के चुनाव में आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से पांच सीटें वर्तमान के झारखंड से मिली थीं।
दरअसल, साल 1989 में राजीव गांधी की सरकार ने चुनाव से ठीक पहले मस्जिद का ताला खोल उसमें पूजा की इजाजत दी थी, जिसके बाद भाजपा ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया था। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी ने साल 1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली, जो बिहार से गुजरने वाली थी।
ऐसे में बिहार की लालू प्रसाद की सरकार ने रथ को समस्तीपुर में रोकवाकर लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद आडवाणी ने समस्तीपुर से ही केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। तब से लेकर आज तक भाजपा को झारखंड के लोगों का हमेशा साथ ही मिला है। भाजपा को 1991 के चुनाव में 15।9 फीसदी वोट मिले। उस चुनाव में भाजपा की ओर से धनबाद से रीता वर्मा, खूंटी से कड़िया मुंडा, लोहरदगा से ललित उरांव रांची से रामटहल चौधरी और पलामू से रामदेव राम सांसद चुने गए।
ऐसे में अब एक बार फिर से लोकसभा चुनाव होने वाला है। इस बार भी उम्मीद जताई जा रही कि बीजेपी को यहां से एक बार फिर से बहुमत मिलने वाला है। हालांकि दूसरी ओर इंडी गठबंधन भी अपनी तरफ से पूरा जोर लगा रही है।